नई दिल्ली। भारत ने रक्षा संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार को ‘इंडियन रेडियो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर (IRSA)’ जारी किया, जो भारतीय सशस्त्र बलों के बीच आधुनिक, सुरक्षित और एकीकृत संचार प्रणाली की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह पहल भारत को रक्षा संचार प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। आईआरएसए को ‘सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR)’ तकनीक के लिए एक व्यापक सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर मानक के रूप में विकसित किया गया है।
तीनों सेनाओं और आईडीएस का सहयोग
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना को इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (IDS) और तीनों सेनाओं—थलसेना, नौसेना और वायुसेना के सहयोग से तैयार किया गया है। इस प्रणाली में समान इंटरफेस, एपीआई (Application Programming Interface) और वेवफार्म पोर्टेबिलिटी जैसे फीचर शामिल हैं।
इसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न SDR प्लेटफार्मों में एकरूपता, पारस्परिक तालमेल (Interoperability) और मानकीकरण (Standardization) सुनिश्चित करना है। इससे तीनों सेनाओं के बीच संचार नेटवर्क को एकीकृत करने में मदद मिलेगी और किसी भी संयुक्त अभियान के दौरान संचार की क्षमता और सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी उपलब्धि
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आईआरएसए का विकास ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। यह पहल विदेशी तकनीकों पर निर्भरता को कम करेगी और भारत में विकसित सैन्य संचार प्रणालियों की विश्वसनीयता को बढ़ाएगी।
डीआरडीओ ने 2021 में इस परियोजना की नींव रखी थी, जब आधुनिक सैन्य अभियानों में SDR की बढ़ती भूमिका को देखते हुए एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर मानक तैयार करने की जरूरत महसूस की गई। इसके बाद 2022 में डीआरडीओ की तकनीकी टीम ने विस्तृत कार्य आरंभ किया।
मिली आधिकारिक मंजूरी
लगातार समीक्षा, तकनीकी परीक्षण और हितधारकों से परामर्श के बाद ‘इंडियन रेडियो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर (IRSA) संस्करण 1.0’ को आधिकारिक रूप से मंजूरी दी गई है। यह संस्करण अब भारतीय सशस्त्र बलों के सभी SDR प्लेटफार्मों के लिए मानक ढांचा (Standard Framework) के रूप में अपनाया जाएगा।
क्या है सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो तकनीक
‘सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR)’ एक उन्नत संचार तकनीक है, जिसमें पारंपरिक हार्डवेयर रेडियो की जगह सॉफ्टवेयर आधारित सिस्टम का उपयोग किया जाता है। इससे एक ही उपकरण विभिन्न आवृत्तियों, संचार प्रोटोकॉल और तरंग रूपों (waveforms) पर काम कर सकता है। आईआरएसए के आने से इन प्रणालियों में सुरक्षा, लचीलापन और पारस्परिक संचालन क्षमता और अधिक सुदृढ़ होगी।
विशेषज्ञों ने जताई सराहना
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल भारत के रक्षा नेटवर्क को डिजिटल और सुरक्षित संचार के नए युग में ले जाएगी। इससे देश की सैन्य क्षमताओं में न केवल तकनीकी मजबूती आएगी, बल्कि विदेशी सॉफ्टवेयर प्रणालियों पर निर्भरता भी घटेगी।
आईआरएसए का लॉन्च भारत के रक्षा संचार क्षेत्र में ‘मेड इन इंडिया’ नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनकर उभरा है — जो आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों की संचार संरचना को पूरी तरह से नई दिशा देगा।





