हिजबुल्ला और इस्राइल के बीच चल रहे जंग में इस्राइल ने लेबनान की राजधानी पर बेरूत पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया। स्थानीय अधिकारियों की माने तो इस्राइल के इस हमले में कम से कम 42 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। हलांकि इस्राइल का ये हमला ऐसे समय पर किया गया जब इस्राइली सुरक्षा कैबिनेट ने बुधवार 4 बजे सुबह से हिजबुल्ला के साथ युद्ध विराम समझौते पर सहमति की घोषणा कर दी।
युद्ध विराम से पहले हमला जारी रखना चाहता है इस्राइल!
हेजबुल्ला की राजधानी बेरूत पर इस्राइल का हमला बेहद चौकाने वाला है। क्योंकि हिजबुल्ला के साथ चल रहे जंंग में इस्राइल का ये हमला अब तक का सबसे बड़ा हमला है। हलांकि इस्राइल के इस हमले ने नेतन्याहू की मंशा साफ कर दी है कि युद्ध विराम लागू होने से पहले वे हिजबुल्लाह पर हमला जारी रखना चाहते है।
जानकारी के अनुसार इस्राइल और हिजबुल्ला के युद्ध विराम को लेकर फ्रांस और अमेरिका की मध्यस्थता के बीच इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि सुरक्षा कैबिनेट ने हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम समझौते को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के यह कहने के कुछ ही देर बाद कि इजरायल और हिजबुल्लाह युद्ध विराम समझौते पर सहमत हो गए हैं।
14 महीनों के संघर्ष पर एक नजर
बीते 14 महीने से इस्राइल का हमास और इसके समर्थक गुटों के साथ युद्ध चल रहा है। पिछले साल 7 अक्तूबर को इस्राइल में घातक हमला हुआ था जिसके बाद पश्चिमी एशिया में तनाव फैल गया। यह संघर्ष बाद में कई मोर्चों पर शुरू हो गया जिसमें इस्राइल और लेबनान में मौजूद गुट हिजबुल्ला भी आपस में भिड़ गए।
अब तक 3500 से ज्यादा लोगों की मौत
जानकारी के अनुसार इस्राइल और हिजबुल्ला की खूनी जंग में लेबनान में 3750 से अधिक लोग मारे गए हैं और 10 लाख से अधिक लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा है। हालांकि, एक साल से अधिक समय से जारी खूनी जंग के बीच इस्राइल अमेरिकी युद्धविराम की योजना पर सहमति जता सकता है। इस्राइल के सुरक्षा मंत्रिमंडल की मंगलवार को बैठक है जिसमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू युद्धविराम के मसौदे को मंजूरी दे सकते हैं।
दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित
यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बावजूद रूस से तेल खरीदने की पश्चिमी आलोचना का भारत ने जवाब दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं और यह समझना जरूरी है। उन्होंने यूरोप के चयनात्मक दृष्टिकोण की आलोचना की और पूछा कि अगर यह सिद्धांतों का मामला है, तो यूरोप ने खुद रूस के साथ अपने कारोबार में कटौती क्यों नहीं की। इटली में एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनिया के अन्य हिस्सों से यूरोप की अनचित अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यूरोप की प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से एशिया, अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के देशों से भिन्न होंगी। अगर सब कुछ इतने गहरे सिद्धांत का मामला है, तब तो यूरोप को स्वयं ही रूस के साथ अपना सारा कारोबार बंद कर देना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यूरोप ने बहुत ही सावधानी से अपने विघटन को गति दी है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान पर भारत की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत कूटनीति और बातचीत के जरिए संघर्ष को खत्म करने का पक्षधर है। उन्होंने संघर्ष सुलझाने के लिए भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला। जयशंकर ने कहा कि समाधान युद्ध के मैदान में नहीं मिलेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक रूस और यूक्रेन बातचीत के लिए नहीं बैठते, तब तक किसी को भी नहीं पता कि दोनों पक्ष क्या चाहते हैं।





