Tuesday, December 30, 2025

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यमन में सऊदी अरब का बड़ा हवाई हमला: UAE समर्थित गुटों के हथियारों की खेप को मिसाइलों से किया तबाह

रियाद/अदन: सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने यमन के रणनीतिक इलाकों में भीषण बमबारी की है। ताजा रिपोर्टों के मुताबिक, सऊदी लड़ाकू विमानों ने उन ठिकानों को निशाना बनाया है जहाँ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा भेजी गई हथियारों की एक बड़ी खेप रखी गई थी। सऊदी अरब का दावा है कि यह कार्रवाई ‘सुरक्षा प्रोटोकॉल’ के उल्लंघन और अवैध हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए की गई है।

मिसाइल हमले में भारी नुकसान की खबर

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, सऊदी अरब ने सटीक निशाने वाली मिसाइलों (Precision-Guided Missiles) का इस्तेमाल किया।

  • हथियारों का डिपो तबाह: हमले में आधुनिक ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और बख्तरबंद वाहनों की खेप पूरी तरह नष्ट हो गई है।
  • निशाने पर कौन था: यह हमला मुख्य रूप से यमन के दक्षिणी हिस्सों में सक्रिय उन गुटों के ठिकानों पर किया गया, जिन्हें यूएई का समर्थन प्राप्त है।
  • विस्फोटों की गूंज: बमबारी इतनी भीषण थी कि कई किलोमीटर दूर तक धमाकों की आवाज सुनी गई और आसमान में धुएं का गुबार छा गया।

सऊदी और UAE के बीच बढ़ती रार

यमन युद्ध में कभी कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले सऊदी अरब और यूएई के बीच अब हितों का टकराव खुलकर सामने आ रहा है।

  1. वर्चस्व की जंग: सऊदी अरब यमन में अपनी समर्थित सरकार (हादी सरकार) को मजबूत करना चाहता है, जबकि यूएई दक्षिणी यमन के अलगाववादी गुटों (STC) को समर्थन दे रहा है।
  2. रणनीतिक मतभेद: यूएई यमन के बंदरगाहों और समुद्री मार्गों पर नियंत्रण चाहता है, जो सऊदी अरब को नागवार गुजर रहा है।
  3. हथियारों की होड़: सऊदी का मानना है कि बिना समन्वय के यमन में हथियारों की आपूर्ति क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर रही है।

क्षेत्रीय स्थिरता पर संकट

इस हमले के बाद मिडिल ईस्ट के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दोनों बड़े मुस्लिम देशों के बीच यह सैन्य टकराव यमन संकट को और अधिक जटिल बना सकता है। इससे पहले भी सऊदी और यूएई के बीच तेल उत्पादन (OPEC) और क्षेत्रीय कूटनीति को लेकर मतभेद सामने आए थे, लेकिन यह पहली बार है जब सैन्य बल का प्रयोग इस तरह से चर्चा में है।

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