गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में तेजी से बदल रहे जनसांख्यिकीय ढांचे पर गहरी चिंता व्यक्त की है। एक सार्वजनिक मंच से संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि प्रवासियों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो भविष्य में असम अपनी भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान खो देगा और बांग्लादेश का हिस्सा बनकर रह जाएगा। मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य में अवैध घुसपैठ और नागरिकता के मुद्दों पर चल रही बहस के बीच आया है।
अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन का मुद्दा
मुख्यमंत्री सरमा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि असम के कई जिलों में स्वदेशी समुदायों की आबादी कम हो रही है, जबकि एक विशेष वर्ग की आबादी में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि असमिया संस्कृति, भाषा और अस्तित्व पर मंडराता हुआ खतरा है। उन्होंने आगाह किया कि यदि समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले कुछ दशकों में असम का नक्शा बदल सकता है।
‘अस्तित्व की रक्षा के लिए जरूरी है सख्त कानून’
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के मूल निवासियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने मिशन ‘बसुंधरा’ और हाल ही में लागू किए गए भूमि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ऐसे प्रावधान कर रही है जिससे प्रवासियों द्वारा मूल निवासियों की जमीन पर कब्जा न किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि असम को ‘दूसरा बांग्लादेश’ बनने से रोकने के लिए कड़े प्रशासनिक और कानूनी फैसलों की आवश्यकता है।
विपक्ष ने साधा निशाना, बताया ध्रुवीकरण की राजनीति
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राज्य में राजनीतिक पारा चढ़ गया है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ (AIUDF) जैसे विपक्षी दलों ने इस बयान की आलोचना करते हुए इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के संवेदनशील बयान दे रहे हैं। हालांकि, भाजपा समर्थकों ने मुख्यमंत्री के बयान का पुरजोर समर्थन करते हुए इसे राज्य की सुरक्षा के लिए जरूरी चेतावनी बताया है।
बॉर्डर सुरक्षा और भविष्य की चुनौतियां
संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से भारत-बांग्लादेश सीमा पर और अधिक सख्ती बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि सीमाओं को पूरी तरह सुरक्षित करना और घुसपैठियों की पहचान करना असम के भविष्य के लिए अनिवार्य है। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद अब राज्य में एनआरसी (NRC) की प्रक्रिया और संदिग्ध मतदाताओं (D-Voters) के मुद्दे पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है।





