सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चार साल से जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देते हुए मुकदमे में देरी के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को कड़ी फटकार लगाई। मुकदमा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए)1967 के तहत दर्ज किया गया था। शीर्ष अदालत ने एनआईए से कहा कि वह न्याय का मजाक न उड़ाए। कोर्ट ने कहा कि भले ही अभियुक्त पर गंभीर अपराध का आरोप है, लेकिन उसे त्वरित सुनवाई का अधिकार है। जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली अवकाश पीठ ने एनआईए से कहा, मुकदमा शुरू करना आपका दायित्व है। वह पिछले चार साल से जेल में है। आज तक आरोप तय नहीं हुआ है। पीठ ने यह भी गौर किया कि अभी 80 गवाहों का परीक्षण किया जाना है। पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता जावेद गुलाम नबी शेख को जमानत पर रिहा करने से इन्कार कर दिया था। आरोपी की लंबी कैद को देखते हुए अदालत ने मामले को स्थगित करने से इन्कार कर दिया। 9 फरवरी 2020 को अपीलकर्ता को गुप्त सूचना के आधार पर मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने लंबी कैद पर विचार करने के अलावा यह भी नोट किया कि दो सह-आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।





