Thursday, November 20, 2025

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मुंबई में प्रोवोग इंडिया से 90 करोड़ की धोखाधड़ी

मुंबई: शहर की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने प्रोवोग इंडिया लिमिटेड में हुए कथित ₹90 करोड़ के घोटाले की जांच शुरू कर दी है। कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक निखिल चतुरवेदी द्वारा की गई शिकायत के आधार पर आरोप लगाया गया है कि कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया और इसमें पूर्व निदेशक समेत चार व्यक्तियों की भूमिका सामने आई है।

मामले में पूर्व निदेशक राकेश रावत, पूर्व कर्मचारी समीर खंडेलवाल, रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल अमित गुप्ता, और नई खरीददार अर्पित खंडेलवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा Plutus Investments & Holdings Ltd को भी प्रकरण में शामिल किया गया है।

शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने कंपनी की संपत्तियों की वास्तविक वैल्यू को कम दर्शाया और नीलामी प्रक्रिया को जानबूझकर दो वर्षों तक रोके रखा, जिससे बाजार मूल्य गिरा और खरीदार को अनुचित लाभ मिला। आरोप यह भी है कि क्लाइंट्स से मिलने वाली देय राशि की वसूली में गंभीर लापरवाही बरती गई और उससे निजी लाभ कमाया गया।

शिकायतकर्ता का कहना है कि यह साजिश 2018 से 2023 के बीच लगातार जारी रही और योजनाबद्ध तरीके से कंपनी के हितों को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के तहत मामला दर्ज किया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आरोप साबित होते हैं तो यह घोटाला न केवल प्रोवोग की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि कंपनी के आंतरिक शासन और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करेगा। EOW इस मामले में वित्तीय विवरण, नीलामी दस्तावेज और आंतरिक रिपोर्टों सहित सभी संभावित सबूतों की जांच कर रही है।

यह मामला दिखाता है कि किस प्रकार कंपनी के अंदर ही मौजूद अधिकारी संपत्ति का गलत मूल्यांकन कर और प्रक्रियाओं में देरी कर भारी वित्तीय लाभ उठा सकते हैं। आगे की कार्रवाई और जांच का परिणाम ही तय करेगा कि दोष किस हद तक साबित होते हैं और कंपनी तथा आरोपियों के लिए इसके क्या कानूनी और आर्थिक प्रभाव होंगे।

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