Tuesday, July 22, 2025

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मुंबई ट्रेन बम विस्फोट केस: सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर पीड़ितों की नाराजगी, कोर्ट के फैसले को बताया ‘जख्मों पर नमक’

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सभी दोषियों को बरी किए जाने के फैसले ने पीड़ितों और उनके परिजनों में गहरी निराशा पैदा की है। इस फैसले को लेकर कई पीड़ितों ने न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और इसे 19 साल की उम्मीदों पर कुठाराघात बताया है।

‘जांच सही होती तो फैसला कुछ और होता’

वसई निवासी यशवंत भालेराव, जिन्होंने इस हमले में अपने बेटे हर्षल को खोया, ने कहा कि, “हमने 19 साल तक न्याय का इंतजार किया, लेकिन हाथ आया सिर्फ दर्द।” उन्होंने सरकार पर गलत जांच का आरोप लगाया और कहा कि अगर असली दोषियों को पकड़ा गया होता, तो आज का निर्णय अलग होता।

‘जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा फैसला’

विस्फोट में घायल हरीश पोवार ने कोर्ट के फैसले को पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया। उन्होंने उस दिन को याद करते हुए कहा, “डिब्बे के अंदर लाशें थीं, खून की छींटें दीवारों पर और लोग तड़प रहे थे।” उन्होंने कहा कि आज भी उन्हें उस हादसे की शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है।

‘कानून विफल, फिर भी माफ कर चुका हूं’

चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान, जो अब व्हीलचेयर पर हैं, ने सोशल मीडिया पर फैसले को न्याय की हत्या बताते हुए लिखा कि, “अगर उस समय नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होते, तो शायद न्याय जरूर मिलता।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह दोषियों को माफ कर चुके हैं और आगे बढ़ चुके हैं

‘गलत लोगों को फंसाया गया’

एक अन्य पीड़ित साबिर खान ने कहा कि, “पुलिस असली दोषियों तक नहीं पहुंच सकी और किसी को भी पकड़कर सलाखों के पीछे डाल दिया। अगर सही लोग पकड़े गए होते, तो फैसला कुछ और होता।”

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