पर्यावरण डाटा कंपनी कैरोस ने अपने एक शोध में कहा है कि अमेरिका वायुमंडल में दुनिया की सबसे खतरनाक ग्रीनहाउस गैस को सबसे अधिक मात्रा में छोड़ रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार अमेरिका वायुमंडल में इस शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस को अधिक से अधिक मात्रा में छोड़ रहा है। जबकि उसने उत्सर्जन में कटौती करने का लगातार वादा किया है। अमेरिका के नेतृत्व में अन्य देशों को वैश्विक स्तर पर उत्सर्जन में कटौती करने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयासों के बावजूद अमेरिका का तेजी से बढ़ता जीवाश्म ईंधन उद्योग वायुमंडल में पृथ्वी को गर्म करने वाली मीथेन अधिक उत्सर्जित कर रहा है। कैरोस ने अपने अध्ययन में जीवाश्म ईंधन पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां बड़ी मात्रा में मीथेन को जानबूझकर छोड़ने और फ्लेयरिंग यानी इसे जानबूझकर जलाए जाने की प्रथाएं आम हैं। वायुमंडल में मीथेन की सांद्रता अब पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ढाई गुना अधिक है और दुनिया के आधे से अधिक मीथेन उत्सर्जन मानव निर्मित है। वायुमंडल में इसकी मौजूदगी लगभग 12 वर्षों में समाप्त हो जाती है जो कि अपेक्षाकृत कम समय है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि इसका ऊष्मा-अवरोधन प्रभाव कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक मजबूत है। इसका अर्थ है कि जलवायु के लिए इसके और भी तात्कालिक परिणाम हो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में अमेरिका ‘वैश्विक मीथेन शपथ’ के पहले हस्ताक्षरकर्ताओं और प्रवर्तकों में से एक था। अमेरिका ने एक दशक के भीतर वैश्विक स्तर पर मानव निर्मित मीथेन उत्सर्जन को 2020 के स्तर से 30% कम करने का लक्ष्य रखा था। इस शपथ पर 158 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। 2030 के नजदीक आने से पहले उत्सर्जन अभी भी भारी मात्रा में जारी है। अमेरिका और अन्य जगहों पर तेल और गैस का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। हालांकि अमेरिकी जीवाश्म ईंधन क्षेत्र गत वर्षों की तुलना में प्रति यूनिट ऊर्जा में कम मीथेन उत्सर्जित करता है। लेकिन उत्पादन में हुई वृद्धि ने मीथेन उत्सर्जन बढ़ा दिया है।