आम बजट में पड़ोसी देशों से भारत के खट्टे-मीठे रिश्ते की झलक साफ महसूस की गई। संबंध सुधार के बाद मालदीव को विकास के मद में जहां भरपूर मदद का प्रावधान किया गया, वहीं बांग्लादेश को संबंधों में आई खटास की कीमत चुकानी पड़ी। बजटीय प्रावधान में अफगानिस्तान से सुधर रहे रिश्ते की झलक नहीं दिखी। उसे बीते साल दी गई मदद में 50 प्रतिशत की कटौती की गई। इसके अलावा नेपाल, श्रीलंका को दी जाने वाली मदद में कोई वृद्धि नहीं की गई। जबकि म्यांमार और भूटान की मदद में भी थोड़ी कटौती की गई है।विकास के मद में दी जाने वाली रकम से सर्वाधिक लाभ मालदीव को मिला है। इस देश के लिए बजट में परिव्यय में 28 फीसदी वृद्धि की गई। गौरतलब है कि बीते बजट में मालदीव के लिए 470 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे, हालांकि कूटनीतिक तनातनी के बीच इसे घटा कर 400 करोड़ कर दिया गया था। इस बार का आवंटन 600 करोड़ का है। इसी प्रकार बीते वर्ष बांग्लादेश के लिए आवंटित राशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। इस बार भी बांग्लादेश को 120 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है। साल 2023 के बजट में पड़ोसी देश को करीब 158 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।भले ही भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, लेकिन इसका असर बजटीय आवंटन में नहीं दिखाई दिया। बीते वित्तीय बजट में इसे भारत ने 200 करोड़ रुपये जारी किए थे। इस बार इसे घटा कर 100 करोड़ कर दिया गया है। गौरतलब है कि वहां तालिबान की वापसी के बाद दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्ते बेहद खराब हो गए थे। हालांकि बीते महीने इसे पटरी पर लाने की सकारात्मक कोशिश हुई है।
आम बजट में नेपाल और श्रीलंका को बीते वित्तीय बजट की तरह इस बार भी समान आवंटन दिया गया है। नेपाल को पहले की तरह 700 करोड़ और श्रीलंका को 300 करोड़ जारी करने की घोषणा की गई है। इसके अलावा भूटान और म्यांमार के आवंटन में बीते वित्तीय बजट के मुकाबले मामूली कमी की गई है। भूटान को 2543 करोड़ की जगह इस बार 2150 करोड़ जबकि म्यांमार को 400 करोड़ की जगह 350 करोड़ के आवंटन का प्रावधान है।