भाजपा ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को उनकी सबसे सुरक्षित सीट पर चुनौती दे दी है। हालांकि समीकरण के लिहाज से भाजपा के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के सामने भी चुनौतियों का पहाड़ है। क्योंकि केजरीवाल 2013, 2015, 2020 में तीन बार 53 प्रतिशत से अधिक वोट पाकर चुनाव जीत चुके हैं। यह क्षेत्र भी प्रवेश वर्मा का गढ़ नहीं है, लेकिन कांग्रेस के संदीप दीक्षित के चुनाव मैदान में होने का फायदा उन्हें मिल सकता है। भाजपा के आईटी सेल के अमित मालवीय कहते हैं कि अभी हड़बड़ी मत दिखाइए। 10-15 दिन बाद से जमीनी झलक दिखाई देने लगेगी। आखिरी दो सप्ताह में भाजपा आप की बाजी को पलट देगी। भाजपा के ही नेता अरुण शुक्ला तर्क देते हैं कि केजरीवाल को 2013 में 53.4,2015 में 64.34 लेकिन 2020 में 61.1 फीसदी वोट मिले थे। इससे जाहिर होता है कि केजरीवाल के वोट 2020 में ही घटने शुरू हो गए थे। इसलिए अपनी सीट पर उनकी छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है। शुक्ला कहते हैं कि केजरीवाल से ज्यादा लड़ाई में मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना घिरी हैं। उनका तो हारना तय है, क्योंकि मुकाबले में रमेश विधूड़ी है। तीन बार के विधायक, दो बार के सांसद विधूड़ी गुर्जर हैं और दक्षिणी दिल्ली तो उनका गढ़ है। अरुण का कहना है कि वैसे भी 2020 के विधानसभा में पहला चुनाव लड़ रही मार्लेना 10 हजार से कुछ अधिक वोटों के ही अंतर से जीती थी और इस बार महिलाओं के वोट बंटवारे के लिए वहां से कांग्रेस ने अलका लांबा को उतारा है। आप के संयोजक केजरीवाल को पता है कि मुख्य मुकाबला भाजपा से ही है। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी 15 सीटें 15 के अंतर से जीती थी। इन सीटों पर इस बार मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं। इसलिए अपने कोर वोट बनाए रखने के लिए अरविंद केजरीवाल लगातार जनता से वादा कर रहे हैं। ताजी घोषणा में उन्होंने आरडब्ल्यूए में सुरक्षा गार्ड की तैनाती और खुर्चा दिल्ली सरकार द्वारा वहन करने का वादा किया है। सरकार बनने पर पुरानी सहूलियतों को जारी रखने के साथ महिलाओं को 2100 रुपये देने का वादा किया है। जाट आरक्षण का मुद्दा उठा दिया है और लगातार अपने अंदाज में भाजपा को घेर रहे हैं। कांग्रेस को घेर रहे हैं। वह हर हाल में अपने कोर वोटर, जिसमें महिला, अल्पसंख्यक और गरीब हैं, उन्हें सहेजे रहना चाहते हैं। दिल्ली चुनाव को लेकर सर्वे एजेंसी से जुड़े सर्वेश कुमार कहते हैं कि दिल्ली में 33-34 लाख लोग झुग्गियों में रहते हैं। इनमें अब आधे से अधिक मतदाता हैं। केजरीवाल को 2015 और 2020 में समाज के निचले ने थोक के भाव वोट दे दिया था। इसका एक बड़ा कारण 200 यूनिट की फ्री बिजली, 400 लीटर तक का मुफ्त पानी, डीटीसी बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा थी।