कुआलालंपुर। मलेशिया के राजनीतिक इतिहास में सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार रहे पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक का पतन आधुनिक लोकतंत्र के लिए एक बड़ी मिसाल बन गया है। अरबों डॉलर के बहुचर्चित 1MDB (1Malaysia Development Berhad) घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद, रजाक इन दिनों जेल की सजा काट रहे हैं। कभी देश की तकदीर लिखने वाले रजाक का यह हश्र भ्रष्टाचार के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है।
क्या है 1MDB घोटाला?
1MDB एक सरकारी निवेश कोष था, जिसे नजीब रजाक ने 2009 में मलेशिया के आर्थिक विकास के लिए स्थापित किया था। हालांकि, बाद में यह कोष दुनिया के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों का केंद्र बन गया।
- पैसे की हेराफेरी: आरोप है कि इस फंड से लगभग 4.5 अरब डॉलर की अवैध निकासी की गई।
- विलासिता पर खर्च: जांच में सामने आया कि इस पैसे का इस्तेमाल निजी बैंक खातों में जमा करने, महंगी कलाकृतियां खरीदने, आलीशान रियल एस्टेट और यहाँ तक कि हॉलीवुड फिल्मों के निर्माण में किया गया।
सत्ता का पतन और न्यायिक जांच
नजीब रजाक की सत्ता का सूरज 2018 के आम चुनावों में अस्त हुआ, जब जनता ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। सत्ता से हटते ही उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया।
- छापेमारी और बरामदगी: नजीब के ठिकानों पर हुई छापेमारी में पुलिस ने करोड़ों की नकदी, महंगे हैंडबैग और बेशकीमती गहने बरामद किए थे, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया था।
- दोषसिद्धि: लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने उन्हें विश्वासघात, सत्ता के दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी माना।
- जेल की सजा: उन्हें 12 साल की कैद (जिसे बाद में कम किया गया) और भारी जुर्माने की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उन्हें ‘काजांग’ जेल भेज दिया गया।
वैश्विक स्तर पर प्रभाव
इस घोटाले की आंच केवल मलेशिया तक सीमित नहीं रही। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और स्विस अधिकारियों ने भी इसकी जांच की, क्योंकि घोटाले का पैसा अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणालियों के माध्यम से इधर-उधर किया गया था। यह मामला गोल्डमैन सैक्स जैसे बड़े वैश्विक वित्तीय संस्थानों की साख पर भी धब्बा लगा गया।
लोकतंत्र के लिए एक सबक
नजीब रजाक का मामला यह दर्शाता है कि कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह देश का प्रधानमंत्री ही क्यों न हो, सर्वोच्च नहीं है। मलेशियाई न्यायपालिका के इस सख्त रुख की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है, क्योंकि इसने साबित किया कि जवाबदेही और पारदर्शिता लोकतंत्र के अनिवार्य स्तंभ हैं।





