मणिपुर में शांति समझौते यानी एसओओ (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) के प्रति विरोध बढ़ गया है। यहां के 10 आदिवासी विधायकों ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव की निंदा की है। उन्होंने प्रस्ताव को पक्षपातपूर्ण बताया है और केंद्र से सभी कुकी-जो भूमिगत समूहों के साथ किए गए एसओओ समझौते को रद्द करने का आग्रह किया है।
2008 में हुए इस समझौते के तहत केंद्र, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) के दो समूहों ने हस्ताक्षर किए थे।
विधायकों में से सात सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, दो कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) के हैं और एक निर्दलीय है। इन लोगों का कहना है कि जब प्रस्ताव पारित किया गया था तब वे विधानसभा में मौजूद नहीं थे।
एसओओ समझौते के हिस्से के रूप में एक संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) का गठन ग्राउंड नियमों की निगरानी के लिए किया गया था। इस समूह में केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां, केएनओ और यूपीएफ के प्रतिनिधि शामिल हैं।