देहरादून।
प्रदेश में लंबे समय से लटके मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जैसे-जैसे विस्तार की सुगबुगाहट बढ़ रही है, वैसे-वैसे विधायकों की सक्रियता भी बढ़ गई है। स्थिति यह है कि देहरादून से लेकर दिल्ली तक विधायक लगातार दौड़भाग कर रहे हैं और मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिशों में जुट गए हैं।
मुख्यमंत्री से मुलाकात का सिलसिला
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने वालों की लाइन लगी रही। रामनगर के विधायक दीवान सिंह बिष्ट, घनसाली के विधायक शक्तिलाल शाह और टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय मुख्यमंत्री से अलग-अलग मिले। इससे पहले सोमवार को भी कई विधायक सीएम आवास पहुंचकर मुलाकात कर चुके थे। माना जा रहा है कि इन मुलाकातों का मकसद मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अपनी दावेदारी पेश करना है।
दिल्ली दरबार में सक्रिय विधायक
देहरादून के रायपुर विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’ और गदरपुर के विधायक अरविंद पांडे ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की। इन मुलाकातों को भी मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी के भीतर यह धारणा बन रही है कि संभावित विस्तार से पहले दिल्ली दरबार का रुख करना कई विधायकों को ज़्यादा मुफीद लग रहा है।
मंत्रिमंडल में खाली हैं पांच पद
गौरतलब है कि फिलहाल मुख्यमंत्री धामी को मिलाकर कुल छह मंत्री हैं, जबकि राज्य मंत्रिमंडल में 11 पद स्वीकृत हैं। यानी पाँच मंत्री पद अभी खाली हैं। इन पदों को भरने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक सीएम धामी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान से अंतिम मंजूरी के बाद ही नामों पर मुहर लगेगी।
विपक्ष का हमला
हाल ही में भराड़ीसैंण में हुए विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश सरकार महत्वपूर्ण विभागों को बगैर मंत्री के चला रही है, जिससे जनहित प्रभावित हो रहा है। वहीं, भाजपा विधायकों का मानना है कि जल्द विस्तार होगा और अनुभव व क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए नए चेहरे शामिल किए जाएंगे।
विधायकों की उम्मीदें बरकरार
सूत्रों की मानें तो कई विधायक लगातार अलग-अलग स्तर पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। पार्टी में यह संदेश भी दिया जा रहा है कि संगठन और सरकार के बीच तालमेल को ध्यान में रखकर ही मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। ऐसे में सभी की निगाहें मुख्यमंत्री और दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हुई हैं।