Thursday, November 20, 2025

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मंगल पर नासा की बड़ी खोज: ‘एलियन पत्थर’ मिला

नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर एक ऐसा पत्थर खोजा है, जिसने वैज्ञानिक समुदाय को चकित कर दिया है। यह पत्थर न तो रंग में, न बनावट में और न ही आकार में मंगल की स्थानीय चट्टानों से मेल खाता है। उसकी रासायनिक संरचना इतनी अलग है कि वैज्ञानिक उसे प्रारंभिक तौर पर “एलियन स्टोन” तक कह रहे हैं।

 

पत्थर क्या है और क्यों है यह असामान्य?

नासा के वैज्ञानिकों ने इस पत्थर का नाम “Phippsaksla” रखा है। इसकी चौड़ाई लगभग 80 सेंटीमीटर है। पर्सिवियरेंस रोवर ने इसे Jezero Crater के किनारों पर स्थित एक क्षेत्र “Vernodden” में खोजा, जहाँ सामान्यतः सपाट और टुकड़ेदार चट्टानें पाई जाती हैं।

लेकिन यह पत्थर न सिर्फ इन चट्टानों से रंग और बनावट में अलग दिखता है, बल्कि इसकी चिकनाई और समग्र आकृति भी असामान्य है। रोवर के SuperCam उपकरण द्वारा किए गए विश्लेषण में इसमें आयरन (लोहा) और निकेल की काफी अधिक मात्रा पाई गई है — जबकि ये तत्व मंगल की सामान्य पपड़ी में बहुत कम पाए जाते हैं।
ऐसी संरचना आमतौर पर मेटलिक उल्कापिंडों के कोर में देखने को मिलती है।

 

क्या यह उल्कापिंड हो सकता है? वैज्ञानिकों का मत

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह पत्थर संभवतः किसी बाहरी खगोलीय पिंड से आया हो सकता है। प्रारंभिक निष्कर्ष इस ओर संकेत करते हैं कि यह शायद एक उल्कापिंड हो सकता है, परंतु अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। नासा की टीम का कहना है कि उन्हें इसके स्रोत और संरचना के बारे में अधिक डेटा की आवश्यकता है।

यदि यह उल्कापिंड साबित होता है, तो यह पर्सिवियरेंस मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी, क्योंकि Jezero Crater के आसपास पहले बहुत कम उल्कापिंड मिले हैं। इसके साथ ही यह खोज यह भी दर्शाती है कि मंगल की सतह पर “परिवहनित चट्टानें” यानी अन्य स्थानों से आई चट्टानें भी मौजूद हो सकती हैं। यह मंगल के भू-इतिहास और उसके बाहरी सौर पिंडों से संपर्क को समझने में मदद कर सकता है।

 

वैज्ञानिक महत्व और आगे का रास्ता

यह खोज न केवल मंगल की भू-रसायन संरचना के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय इतिहास को समझने में भी अहम कड़ी साबित हो सकती है। अगर यह पत्थर वास्तव में उल्कापिंड है, तो यह इस बात का प्रमाण हो सकता है कि सौर मंडल के अन्य पिंडों से आया पदार्थ मंगल पर कैसे पहुंचता है और वहाँ किस प्रकार संरक्षित रहता है।

इस खोज से भविष्य के मंगल मिशनों में नए शोध अवसर मिल सकते हैं। वैज्ञानिक अब ऐसे और पत्थरों की तलाश कर सकते हैं और उनकी संरचना का गहन विश्लेषण कर सकते हैं — चाहे वह रोवर के ज़रिये हो या भविष्य में संभावित मानव मिशनों के माध्यम से।

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