जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों के साथ-साथ सैन्य अड्डों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद भारत के सात सर्वदलीय शिष्टमंडल ने 33 देशों में दहशतगर्दों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सेना की पोल खोली। भारतीय सेना ने संतुलित और सटीक सैन्य अभियानों के दौरान नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। इसमें कुछ पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में हैं, जबकि कुछ पाकिस्तान की सीमा के भीतर। भारत के साथ उपजे तनाव और रिश्तों की तल्खी को भूलने का दिखावा कर रही पाकिस्तानी सेना अमेरिका से समर्थन की आशा कर रही है। इसी जद्दोजहद में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका पहुंचे हैं। मुनीर राष्ट्रपति ट्रंप के साथ व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम आज लंच करने वाले हैं।
इसी बीच कुछ ही दिन पहले सामने आया अमेरिकी रक्षा विभाग की अहम इकाई- यूएस सेंट्रल कमांड (USCENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला का बयान भी चर्चा में है। कुरिल्ला ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में पाकिस्तान को एक ‘अभूतपूर्व’ साझेदार बताया है। ऐसे में सबकी नजरें पाकिस्तान और अमेरिका के बीच होने वाली इस बैठक और व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ मुनीर के लंच पर टिकी हैं।
अमेरिका में दोपहर के इस भोज से पहले भारत ने अमेरिका को दो टूक संदेश भी दिया है। पीएम मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को पाकिस्तान के अनुरोध के बाद रोका गया था। इसमें अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापार सौदे की पेशकश जैसी कोई वजह नहीं थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पिछले महीने सात मई को हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और 10 मई को सीजफायर की घोषणा के बाद ट्रंप और पीएम मोदी ने पहली बार बातचीत की है। यही नहीं पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण को ठुकरा दिया और कहा कि कनाडा से लौटते समय उनका वाशिंगटन में रुकना संभव नहीं है।
अमेरिका के स्थानीय समयानुसार 18 जून की दोपहर करीब एक बजे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन (लंच) के लिए आमंत्रित किया है। व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति और पाकिस्तानी मेहमान की यह बैठक व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में होगी। भारतीय समयानुसार दोनों की बैठक आज रात करीब 8-9 बजे होगी।
पाकिस्तान को व्हाइट से मिले निमंत्रण को महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि माना जा रहा है। हाल ही में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान का ‘फील्ड मार्शल’ (पांच सितारा रैंक) बनाया गया। देश के लगभग आठ दशकों के इतिहास में 1959 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है। मुनीर की पदोन्नति को भारतीय सेना के शौर्य के सामने घुटने टेकने के बाद पाकिस्तान के दिखावे, दहशतगर्दों के पनाहगाह की हताशा, बौखलाहट और देश की सियासत में सैन्य हस्तक्षेप का स्पष्ट सबूत माना गया।
भारत से मिली शिकस्त के बाद मुनीर कितने तिलिमिलाए हुए हैं इसकी एक मिसाल ट्रंप के साथ लंच के एक दिन पहले दिखी। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने वॉशिंगटन में पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ फिर से जहर उगला। मुनीर ने क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए भारत से ‘सभ्य राष्ट्र की तरह’ संवाद करने की अपील भी की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता से इनकार किया। आतंकियों के जनाजे पर श्रद्धांजलि देने वाले सैन्य अधिकारियों के मुखिया ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपों को “दृढ़ता से खारिज” कर दिया है।
दरअसल, पाकिस्तान के इतिहास में जनरल अयूब खान के बाद भारत के साथ तनाव के बीच जनरल मुनीर को पदोन्नत करना एक रणनीतिक जरूरत से अधिक सावधानीपूर्वक तैयार किया गया जनसंपर्क अभियान है। यह पाकिस्तानी पैटर्न के अनुरूप है, जब आलोचना का समय आता है, तो वीरता की नई कहानी गढ़ी जाती है।
बीते दिनों आई मुनीर के अमेरिका दौरे से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के सेना प्रमुख के खिलाफ वाशिंगटन में दर्जनों पाकिस्तानी-अमेरिकी लोगों ने जनरल मुनीर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उन्हें पाकिस्तान का कातिल, भगोड़ा कहा। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की तरफ से सोशल मीडिया पर मुनीर के विरोध का वीडियो साझा किया गया। इसमें पाकिस्तान की जनता को कहते सुना गया, ‘हमें सेना का शासन नहीं, लोकतंत्र चाहिए।’ प्रदर्शनकारी तख्तियां व बैनर लेकर अमेरिका की सड़कों पर उतरे थे, जिन पर ‘पाकिस्तान में मानवाधिकारों के हनन, लोकतंत्र के दमन और पत्रकारों पर अत्याचार’ से जुड़े नारे लिखे गए थे। प्रदर्शनकारियों ने मुनीर को देश की राजनीतिक अस्थिरता, चुनावों में हस्तक्षेप और देश की सियासत में सेना के बढ़ते दखल का पुरजोर विरोध किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हम अमेरिका की धरती से दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि पाकिस्तान के लोग सेना के अत्याचारों के खिलाफ हैं।