भारत, रूस और चीन के बीच लंबे समय से रुका हुआ त्रिपक्षीय सहयोग (RIC) अब एक बार फिर गति पकड़ने की ओर है। रूस की पहल पर चीन ने न केवल समर्थन जताया है, बल्कि इसे विश्व और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण करार दिया है।
रूस की ओर से नई पहल
रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने कहा कि मॉस्को RIC प्रारूप की बहाली को लेकर नई दिल्ली और बीजिंग के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया:
“हम इस प्रारूप को सफल बनाना चाहते हैं क्योंकि यह ब्रिक्स के संस्थापक देशों के बीच सहयोग का एक प्रभावशाली मंच है। इस सहयोग का अभाव अब अनुचित लगता है।”
चीन का समर्थन
इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को कहा:
“चीन, रूस और भारत के बीच सहयोग तीनों देशों के हितों को पूरा करने के साथ-साथ क्षेत्र और विश्व में शांति व स्थिरता बनाए रखने में सहायक है। हम इस त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।”
हालिया घटनाक्रम और पृष्ठभूमि
इस नई ऊर्जा की एक प्रमुख पृष्ठभूमि बनी है विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा, जहां उन्होंने एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया और चीनी विदेश मंत्री वांग यी और रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से भी द्विपक्षीय वार्ताएं कीं।
ज्ञात हो कि RIC प्रारूप में संयुक्त कार्य पहले कोविड-19 महामारी और बाद में 2020 के भारत-चीन लद्दाख सैन्य गतिरोध के चलते ठप पड़ गया था।
रणनीतिक महत्त्व
• RIC समूह तीनों देशों को वैश्विक मुद्दों पर एक संतुलित, बहुध्रुवीय दृष्टिकोण विकसित करने का मंच प्रदान करता है।
• यह ब्रिक्स, एससीओ और जी20 जैसे बहुपक्षीय मंचों को मजबूती देने में भी सहायक हो सकता है।
• इस सहयोग से एशिया में सामरिक संतुलन और शांति प्रक्रिया को गति मिल सकती है।
भारत-रूस-चीन त्रिपक्षीय सहयोग को पुनर्जीवित करने की यह पहल न केवल भू-राजनीतिक संतुलन के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिखाता है कि जटिल द्विपक्षीय मतभेदों के बावजूद तीनों देश साझा वैश्विक हितों पर एक साथ आ सकते हैं। आने वाले समय में RIC की बहाली इस क्षेत्र की कूटनीतिक दिशा को नई परिभाषा दे सकती है।