Tuesday, July 22, 2025

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भारत-यूके व्यापार समझौते से लेकर खालिस्तान तक: पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय ने रखी स्थिति स्पष्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 23 से 26 जुलाई तक प्रस्तावित यूनाइटेड किंगडम यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय ने सोमवार को विस्तृत जानकारी साझा की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर नहीं, बल्कि व्यापार, रणनीति, रक्षा और सुरक्षा जैसे बहु-आयामी मुद्दों पर गहराई से संवाद का माध्यम भी होगी।

मुक्त व्यापार समझौते पर बनी सहमति

विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर वार्ता पूरी हो चुकी है। 6 मई को प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच इस विषय पर चर्चा हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने समझौते की प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा की थी। अब अंतिम दस्तावेजों पर परस्पर समन्वय जारी है और उपयुक्त समय पर इसकी औपचारिक जानकारी दी जाएगी।

पीएम की यूके यात्रा का कार्यक्रम

विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी 23 जुलाई को ब्रिटेन की आधिकारिक यात्रा पर रवाना होंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ होगी, और वे किंग चार्ल्स तृतीय से भी भेंट करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के शीर्ष व्यापारिक नेताओं के साथ बैठकें भी प्रस्तावित हैं।

वर्ष 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा के बाद यह चौथी उच्चस्तरीय यात्रा होगी। भारत-यूके के बीच नियमित रूप से रणनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और विज्ञान-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में संवाद और संस्थागत बैठकें होती रही हैं।

व्यापारिक रिश्तों में नई ऊंचाई

वर्तमान में भारत और ब्रिटेन का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 55 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है। ब्रिटेन भारत का छठा सबसे बड़ा निवेशक है, जिसका कुल निवेश 36 अरब डॉलर से अधिक है। वहीं भारत भी यूके में 20 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर चुका है, जो कि एक उल्लेखनीय संकेत है दोनों देशों के परस्पर आर्थिक विश्वास का।

रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग

विदेश सचिव ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भी दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच नियमित अभ्यास और संवाद होते हैं। इस रणनीतिक तालमेल को और मजबूत बनाने की दिशा में भारत प्रतिबद्ध है।

खालिस्तानी गतिविधियों पर भारत की चिंता

ब्रिटेन में सक्रिय खालिस्तानी उग्रवादियों को लेकर भारत ने एक बार फिर अपनी चिंता ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष दोहराई है। विदेश सचिव ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि यूके सहित हर जिम्मेदार राष्ट्र का साझा सरोकार होना चाहिए, क्योंकि ऐसी गतिविधियाँ सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बनती हैं।

 

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