केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों में भारत-म्यांमार सीमा के पास रहने वाले लोगों के जनसांख्यिकी आंकड़ों का मानचित्रण किया जाना चाहिए। इससे सीमा पर बाड़ (फेंसिंग) को मजबूत करने और सीमा पार से घुसपैठ को रोकने में मदद मिलेगी। शाह शिलांग स्थित उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एनईएसएसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में शाह ने सुझाव दिया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों में खनिज, तेल और कोयले के भंडार का विस्तार से मानचित्रण किया जाना चाहिए। इससे इन राज्यों को इन खनिजों से मिलने रॉयल्टी से आर्थिक लाभ हो सकता है। शाह ने कहा, ‘भारत-म्यांमार सीमा के पास के जनसांख्यिकी आंकड़ों का मानचित्रण किया जाना चाहिए, ताकि सीमा पर बाड़ को मजबूत किया जा सके और घुसपैठ को रोका जा सके। इसके लिए सीमा क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण की जरूरत है।’ वन क्षेत्र के विकास पर जोर देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से जंगलों के विकास पर फोकस किया जाना चाहिए। इसके लिए पुराने और नए मानचित्रों की तुलना करनी होगी और जहां संभव हो, राज्य सरकारों के राज्य सरकारों के साथ मिलकर पेड़ लगाए जाने चाहिए।’
शाह ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र के कठिन भूगोल को देखते हुए अंतरिक्ष तकनीकी का सही उपयोग जरूरी होगा। गृह मंत्री ने एनईएसएसी के काम की सराहना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र बीते दस वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल कर चुका है। गृह मंत्री ने एनईएसएसी से यह भी आग्रह किया कि वह पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के 100 विज्ञान पृष्ठभूमि वाले छात्रों को इसरो मुख्यालय का कराए, ताकि उनकी अंतरिक्ष और संबंधित तकनीकों में रुचि बढ़ाई जा सके।