Tuesday, August 5, 2025

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भारत में नई महामारी बन रहा फेफड़ों का कैंसर — प्रदूषण, जीवनशैली और तंबाकू बना वजह

भारत तेजी से फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) के वैश्विक हॉटस्पॉट में बदलता जा रहा है। यह कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वालों की बीमारी नहीं रह गया, बल्कि प्रदूषण, औद्योगिक रसायन, और बदलती जीवनशैली के चलते नॉन-स्मोकर्स में भी इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
🔴 डरावने आंकड़े:
• 2025 तक भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़कर 81,219 हो सकते हैं (2015 में यह संख्या 63,807 थी) — WHO और ICMR की रिपोर्ट।
• 2020 में: 79,221 नए मामले और 70,264 मौतें — नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम।
• हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग दुनिया में फेफड़ों के कैंसर से मरते हैं।
🧪 खतरनाक रुझान:
• 50% से ज्यादा मामलों की पहचान एडवांस स्टेज में होती है, जब इलाज के विकल्प सीमित हो जाते हैं।
• महानगरों में सबसे ज्यादा खतरा: दिल्ली (14.6 प्रति लाख), कोलकाता (12.4), मुंबई (11.7) — राष्ट्रीय औसत (7.3 प्रति लाख) से कहीं अधिक।

🌫️ वायु प्रदूषण – साइलेंट स्मोकिंग
• PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में जाकर कैंसर कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं।
• ICMR की रिपोर्ट ने वायु प्रदूषण को Silent Smoking कहा है — बिना सिगरेट पिए भी व्यक्ति धुएं का शिकार हो रहा है।

📍 राज्यवार स्थिति:
राज्य / शहर कैंसर दर / कारण
दिल्ली 14.6 प्रति लाख जनसंख्या
कोलकाता 12.4 प्रति लाख
मुंबई 11.7 प्रति लाख
उत्तर प्रदेश ग्रामीण इलाकों में 30% ज्यादा दर
पंजाब, हरियाणा तंबाकू व प्रदूषण के कारण तेजी से बढ़ते मामले
कर्नाटक, तमिलनाडु शहरीकरण व औद्योगिक अपशिष्ट कारण

⚠️ विशेषज्ञों की चेतावनी:
“फेफड़ों का कैंसर अब केवल स्मोकिंग से नहीं, बल्कि सांस लेने भर से हो सकता है। जब हवा ही ज़हर बन जाए, तो फेफड़े सबसे पहले निशाने पर आते हैं।”

✅ समाधान की दिशा में कदम:
• वायु गुणवत्ता सुधारना
• तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाना
• औद्योगिक अपशिष्ट का कठोर नियमन
• शुरुआती स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान

यदि आप चाहें तो मैं इस विषय पर एक वीडियो स्क्रिप्ट, सोशल मीडिया जागरूकता पोस्ट, या इन्फोग्राफिक लेआउट भी तैयार कर सकता हूँ।

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