नई दिल्ली/थिम्फू।
भारत और भूटान के बीच ऊर्जा सहयोग को और सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। दोनों देशों ने शनिवार को 570 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना पर समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह परियोजना न केवल दोनों पड़ोसी देशों की आर्थिक साझेदारी को मजबूती देगी, बल्कि आपसी भरोसे और दोस्ती को भी नई ऊँचाई पर ले जाएगी।
अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना भूटान की नदियों पर आधारित होगी और यहां पर उपलब्ध प्रचुर जल संसाधनों का उपयोग किया जाएगा। समझौते के तहत उत्पन्न बिजली का एक बड़ा हिस्सा भारत को निर्यात किया जाएगा, जबकि शेष भूटान की घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
भूटान के लिए यह समझौता महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में जलविद्युत परियोजनाएं अहम भूमिका निभाती हैं। वहीं भारत को भी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सहयोग से भारत को हरित ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी और दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक आर्थिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इस मौके पर भारत और भूटान के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह परियोजना केवल ऊर्जा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मित्रता और गहरे सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक भी है।
गौरतलब है कि भारत और भूटान के बीच दशकों से ऊर्जा क्षेत्र में गहरा सहयोग रहा है। इससे पहले भी कई पावर प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम किया गया है, जिनसे भूटान को राजस्व प्राप्त होता है और भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं। नई 570 मेगावाट की परियोजना इस साझेदारी में एक और मजबूत कड़ी साबित होगी।