अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बाद से यह मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। अब, जब ट्रंप ने जवाबी टैरिफ की घोषणा कर दी है तो सबके मन में कहीं न कहीं सवाल उठ रहा होगा कि आखिर टैरिफ लगाने के मायने क्या हैं। भारत पर यह कब से लागू होगा और इसका कितना भार पड़ेगा। हमारी-आपकी जेब पर इसका क्या असर पड़ेगा? यह वस्तुओं के आयात पर लगाए जाने वाला सीमा शुल्क या आयात शुल्क है, जिसे आयातक की तरफ से सरकार को देना होता है। आम तौर पर कंपनियां इनका बोझ उपयोगकर्ताओं पर डालती हैं। दूसरे शब्दों में इसका असर आम लोगों की जेब पर ही पड़ता है।यह शुल्क व्यापारिक साझेदारों की तरफ से लगाए जा रहे शुल्क में वृद्धि या उच्च शुल्क के जवाब में लगाया जाता है। यानी एक तरह से जैसे को तैसा वाला जवाबी कदम होता है।इस्पात, एल्युमीनियम और वाहनों तथा कलपुर्जों पर पहले से ही 25% शुल्क लागू है। शेष उत्पादों पर 5 से 8 अप्रैल के बीच 10% का मूल (बेसलाइन) शुल्क लगेगा और 9 अप्रैल से बढ़कर 27% हो जाएगा।इससे अमेरिका में घरेलू विनिर्माण बढ़ेगा। अमेरिका का कुछ देशों खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन है। 2023-24 में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 35.31 अरब अमेरिकी डॉलर था।विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बेहतर है। भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अपनी भूमिका बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। लेकिन इसके लिए उसे व्यापार को आसान बनाना होगा, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा।