ब्राजील के बेलम में आयोजित कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP-30) में भारत ने विकसित देशों पर जलवायु फंडिंग दायित्व निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया।
तीसरे उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय संवाद में समान विचारधारा वाले विकासशील देशों (LMDC) की ओर से भारतीय वार्ताकार सुमन चंद्रा ने स्पष्ट कहा कि विश्वसनीय और पारदर्शी वित्त उपलब्ध हुए बिना विकासशील देश अपने जलवायु लक्ष्यों — यानी NDC (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) — हासिल नहीं कर सकते।
चंद्रा ने याद दिलाया कि पेरिस समझौते के
- अनुच्छेद 1 के तहत जलवायु वित्त देना विकसित देशों की कानूनी जिम्मेदारी है, और
- अनुच्छेद 3 के अनुसार फंडिंग जुटाने में उन्हें अग्रणी भूमिका निभानी होगी,
लेकिन अब तक इन प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं किया गया।
भारत ने COP-29 (बाकू) में तय किए गए नए कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल (NCQG) की भी आलोचना दोहराई, यह कहते हुए कि प्रस्तावित नई वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में विकसित देशों की कोई ठोस प्रतिबद्धता दर्ज नहीं है, जिससे विकासशील देशों के लिए NDC लक्ष्य पूरा करना लगभग असंभव हो रहा है।
चीन का रेयर अर्थ पर एकाधिकार — जलवायु परिवर्तन के लिए नया खतरा
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ जगन्नाथ पांडा ने चेतावनी दी है कि रेयर अर्थ पर चीन की पकड़ वैश्विक जलवायु प्रयासों के लिए गंभीर चुनौती बन रही है।
तुर्किये टुडे में प्रकाशित अपने लेख में उन्होंने लिखा कि नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों में उपयोग होने वाले रेयर अर्थ, लिथियम, तांबा और अन्य महत्वपूर्ण खनिज अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक हथियार बन गए हैं, और यह वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की गति पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।





