भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा है कि योग, मानवता के लिए बेशकीमती तोहफा है। इसलिए, ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को इसका अभ्यास करना चाहिए। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में टेक्नो इंडिया विश्विद्यालय के सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने योग का जिक्र किया। रामनाथ कोविंद ने इस बात पर हैरानी जताई कि आखिर क्यों भारत के कई लोग योग जैसी हमारी सांस्कृति धरोहरों से दूर होते जा रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक शोध के निष्कर्ष का हवाला दिया, जिसमें योग के प्रति भारतीय लोगों की रुचि के बारे में बताया गया है। छात्रों और युवाओं की शारीरिक क्षमता पर जोर देते हुए कहा, ‘योग एक बेशकीमती तोहफा है, जिसे भारत ने मानवता के लिए पूरे विश्व को दिया है। हमें इसे ग्रहण करना चाहिए।’ पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘कुछ लोग योग और प्राणायाम को एक विशेष धर्म से जोड़ सकते हैं। उनके लिए मैं केवल इतना कहूंगा कि शारीरिक दुर्बलता खुद को किसी एक धर्म तक सीमित नहीं रखती।’ उन्होंने आगे कहा, ‘क्या कभी किसी चिकित्सक ने किसी एक धर्म के व्यक्ति को सुबह और शाम की सैर ना करने की सलाह दी है। इस बात को ध्यान में रखें कि एक स्वस्थ शरीर और एक स्वस्थ दिमाग ही आपको किसी भी चुनौती से लड़ने की प्रेरणा देता है।’ इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने 21 जून वर्ष 2019 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दौरान अपनी सुरीनाम यात्रा का भी जिक्र किया। उस दौरान रामनाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति थे और उन्होंने सुरीनाम के राष्ट्रपति के साथ योगाभ्यास किया था। रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘इसके अगले दिन मैं क्यूबा की यात्रा पर गया था। मैंने क्यूबा के राष्ट्रपति को पिछले दिन मनाए गए योगा दिवस के बारे में जानकारी दी। इसके बाद क्यूबा के राष्ट्रपति ने उत्साहपूर्वक कहा कि वे भी योगाभ्यास करेंगे। उस समय मेरे साथ पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज भी मौजूद थीं। मैंने अनुरोध किया कि भारत सरकार की तरफ से क्यूबा में एक योग प्रशिक्षक भेजा जा सकता है। इसके बाद मुझे एक संदेश प्राप्त हुआ कि क्यूबा में एक योग प्रशिक्षक भेजा गया है, जिससे क्यूबा की सरकार बेहद खुश है।’





