केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर रविवार को वाराणसी के बनारस क्लब में आयोजित भारत्स राइस इन ग्लोबल डिप्लोमेसी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने इस कार्यक्रम को संबोधित भी किया। इस कार्यक्रम में जयशंकर ने बताया कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और दुनिया यहां परिचालन और उद्यम खोलना चाहती है। उन्होंने इस कार्यक्रम में विदेश नीति पर भी बात की और पीएम मोदी की लोकप्रियता पर भी जोर दिया। वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, “अगर हम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर नजर डालें तो हमारी सात फीसदी की विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। आज पूरी दुनिया की दिलचस्पी भारत में है। यहां बहुत सारे संयुक्त उद्यम प्रस्ताव आते हैं। कई कंपनियां यहां परिचालन शुरू करना चाहती है। हमारा आयात और निर्यात बढ़ रहा है। हम सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि काफी प्रगति हुई है। विकास दर बढ़ने के साथ महंगाई कम हुई है।” इस कार्यक्रम में जयशंकर ने विदेश नीति पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पहले भारत क पास आत्मविश्वास की कमी थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में आत्मविश्वास बढ़ा और हमने आत्मविश्वासपूर्ण विदेश नीति प्रदर्शित की। जयशंकर ने कार्यक्रम में कहा, “पहले भारत अन्य देशों के साख रिश्ते बनाने से कतराता था, लेकिन अब भारत सभी देशों को अपने करीब रखने की कोशिश कर रहा है। कई बार पीएम मोदी ने यह कहा कि पहले की विदेश नीति और वर्तमान की विदेश नीति में क्या अंतर है? पहले हम दूसरे देशों के साथ रिश्ते कायम रखना चाहते थे, लेकिन तब हमारे अंदर आत्मविश्वास की कमी थी।” जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया में भारत की स्थिति, भारत की प्रतिष्ठा और भारत की छवि अलग है। उन्होंने कहा, दुनिया में तनाव है। कई जगहों पर संघर्ष जारी है। इसके बावजूद भारत की स्थिति मजबूत है। पिछले दस वर्षों की तुलना करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “एक समय था जब लोग कहते थे कि भारत में टैलेंट है, लेकिन उत्पादन के लिए वहां कौन जाएगा। भारत से निकलना मुश्किल है। वहां कच्चा माल पहुंचाना मुश्किल है। उन्होंने आगे कहा, आज उसी भारत में हर दिन 28 किलोमीटर हाईवे बनता है। हर दिन 14 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बनता है, हर साल 8 नए एयरपोर्ट और मेट्रो शहरों में नए मेट्रो सिस्टम बनते हैं।” इस कार्यक्रम में जयशंकर ने पीएम मोदी की लोकप्रियता पर भी बात की। उन्होंने बताया कि अन्य वैश्विक नेताओं को दूसरे या तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित होना मुश्किल लगता है।