रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ 2030 तक दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग के लिए मास्को की कार्य योजना को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। ‘सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच’ के एक सत्र में बोलते हुए पुतिन ने घोषणा की कि रूस, भारत सहित अपने प्रमुख भागीदारों के साथ दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग योजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। पुतिन ने कहा, ‘हम प्रमुख भागीदारों के साथ दीर्घकालिक सहयोग योजनाएं तैयार करने पर सहमत हुए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘भारत जैसे देशों के साथ कार्य योजनाएं जल्द ही पूरी होनी चाहिए।’ रूसी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमने पहले ही तेल और गैस निर्यात को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। इसे हासिल करने के लिए हम भागीदारों के साथ संबंध विकसित करेंगे, व्यापार बाधाओं को दूर करेंगे, नए बाजारों की तलाश करेंगे, बुनियादी ढांचे का निर्माण करेंगे और निवेश को बढ़ाएंगे।’ पुतिन ने इस बात से इनकार किया कि चीन और रूस एक नई बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था बना रहे हैं। पुतिन ने कहा, ‘एक नई विश्व व्यवस्था स्वाभाविक रूप से उभर रही है, जैसे उगता हुआ सूरज। इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है, हमारी भूमिका इस प्रक्रिया को औपचारिक रूप देना और इसे सुविधाजनक बनाना है, यह सुनिश्चित करना है कि यह अधिक संतुलित तरीके से विकसित हो जो अधिकांश देशों के हितों का ध्यान रखे।’ SPIEF में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय रेल, सूचना और प्रसारण, और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया। वैष्णव ने दो महत्वपूर्ण सत्रों को संबोधित किया। ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य’ सत्र में बोलते हुए, उन्होंने AI में भारत की प्रगति और नैतिकता और समावेशी तकनीकी विकास के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए उन्होंने दोनों देशों के बीच गहरे होते आर्थिक संबंधों और सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया। वैष्णव ने रूस के संघीय मंत्रियों, प्रमुख उद्योगपतियों, प्रौद्योगिकी नेताओं और निवेशकों के साथ भी कई बैठकें कीं। ये चर्चाएं रसद और परिवहन, बुनियादी ढांचा विकास, रेलवे आधुनिकीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत-रूस सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित थीं। मॉस्को में भारतीय दूतावास की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनकी यात्रा भारत-रूस के दीर्घकालिक संबंधों को मजबूत करने और आपसी विकास और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।