Saturday, September 21, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

भारत के पास सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का अधिकार

काफी लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग चल रही है। भारत लगातार यूएनएसी में अपनी स्थायी सदस्यता की दावेदारी पेश करता आया है। हाल ही में अमेरिका ने भी इसके लिए अपना समर्थन जताया था। वहीं, अब यूएन में भारत के स्थायी राजदूत पी हरीश ने भी यूएनएसी में सुधारों की प्रबल आवश्यकता बताई है। उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का एक अहम देश है। ऐसे में सुरक्षा परिषद में उसे स्थायी सदस्यता मिलनी ही चाहिए। यह उसका वैधानिक अधिकार भी है। आगे उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आज संशोधित सुरक्षा परिषद के विस्तार की आवश्यकता है और ज्यादातर देश इससे सहमत हैं। सभी ने एक स्वर में कहा है कि सुरक्षा परिषद को स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार की जरूरत है। उनका यह बयान तब आया है जब 23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएन मुख्यालय में होने वाले शिखर सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं। दुनिया भर के कई हिस्सों में चल रही जंग के बीच इस शिखर सम्मेलन को समिट ऑफ फ्यूचर नाम दिया गया है।

साक्षात्कार के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय सत्र में भारत की प्राथमिकताओं पर भी बात की। पी हरीश ने कहा कि भारत का नाम वैश्विक शांति मिशनों बड़े योगदानकर्ता के रूप में शुमार है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दो साल और उसके बाद, कई संकटों और संघर्षों के बाद दुनिया के अधिकांश लोगों का बड़ा ध्यान इस तथ्य पर होगा कि हम अपने सतत विकास लक्ष्यों, एजेंडा 2030 से चूक गए हैं। लेकिन हम इसे पटरी पर ला रहे हैं। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित मामलों पर बड़ा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा  कि मुझे लगता है कि भारत वैश्विक शांति मिशनों में एक बड़ा योगदानकर्ता है। मुद्दा यह है कि हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि शांति स्थापना अधिक केंद्रित, अधिक लक्षित और आवश्यकताओं को पूरा करे और हमारी शांतिरक्षकों के पास यह सुनिश्चित करने के लिए संसाधन हैं कि वे अपने जनादेश को पूरा करें। आतंकवाद एक बड़ा वैश्विक खतरा है, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवाद के लिए कोई वित्तपोषण न हो।

साक्षात्कार के दौरान उन्होंने नई टेक्नॉलाजी, विज्ञान,  एआई, जैव प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हुए विकास से एआई, जैव प्रौद्योगिकी जैसे नए क्षेत्र सामने आए हैं। अब हमें यह देखना होगा कि हम इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कैसे करते हैं। हमारे पास इन प्रौद्योगिकियों के लिए एक शासन संरचना कैसी है जो न्यायसंगत हो और जो यह सुनिश्चित करे कि ग्लोबल साउथ के देशों के पास भी किफायती तरीके से इन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हो सके।

 

Popular Articles