नई दिल्ली: भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति ने ‘शांति’ (SHANTI – Strategic Harnessing of Atomic energy for National Transition and Infrastructure) विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस कानून के लागू होने के साथ ही देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी के द्वार आधिकारिक रूप से खुल गए हैं। अब तक केवल सरकारी उपक्रमों तक सीमित रहे इस संवेदनशील क्षेत्र में अब टाटा, रिलायंस और अदानी जैसी निजी दिग्गज कंपनियां भी कदम रख सकेंगी।
क्या है SHANTI बिल और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
यह बिल भारतीय परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में व्यापक संशोधन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को तेजी से बढ़ाना है।
- निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त: निजी कंपनियां अब परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, तकनीक के विकास और शोध कार्यों में निवेश कर सकेंगी।
- क्लीन एनर्जी लक्ष्यों की प्राप्ति: भारत ने 2070 तक ‘नेट जीरो’ (Net Zero) उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। परमाणु ऊर्जा एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, जो इस लक्ष्य को पाने में कोयले का सबसे मजबूत विकल्प बन सकता है।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMR) पर विशेष ध्यान
इस नए कानून के तहत सरकार SMR (स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स) के निर्माण पर जोर दे रही है।
- कम लागत और कम जगह: पारंपरिक विशाल परमाणु संयंत्रों की तुलना में SMR छोटे होते हैं और इन्हें कम जगह में स्थापित किया जा सकता है।
- सुरक्षित तकनीक: ये रिएक्टर्स सुरक्षा के लिहाज से अधिक आधुनिक हैं और इन्हें औद्योगिक इकाइयों के पास भी लगाया जा सकता है।
- स्वदेशी निर्माण: निजी भागीदारी से इन रिएक्टर्स के पुर्जों का निर्माण भारत में ही संभव होगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा।
सुरक्षा और नियामक नियंत्रण
चूंकि परमाणु क्षेत्र सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील है, इसलिए सरकार ने कड़े नियंत्रण अपने पास रखे हैं।
- नियामक निगरानी: निजी भागीदारी के बावजूद, सुरक्षा और रेडियोधर्मी कचरे के प्रबंधन की जिम्मेदारी परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) के सख्त दिशा-निर्देशों के अधीन होगी।
- रणनीतिक नियंत्रण: यूरेनियम जैसे ईंधन की आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण बना रहेगा।
“SHANTI बिल भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए मील का पत्थर है। निजी क्षेत्र की दक्षता और सरकारी संसाधनों के मेल से हम न केवल अपनी बिजली की मांग पूरी करेंगे, बल्कि वैश्विक परमाणु तकनीक बाजार में भी एक अग्रणी शक्ति बनेंगे।” — केंद्रीय ऊर्जा एवं परमाणु ऊर्जा मंत्री
भविष्य की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से परमाणु क्षेत्र में अरबों डॉलर के निवेश के साथ-साथ उच्च स्तर के तकनीकी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वर्तमान में भारत की कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी 3% से भी कम है, जिसे अगले दशक में 10% तक ले जाने का लक्ष्य है।





