भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आईएमईईसी के सशक्तिकरण और संचालन के लिए सहयोग से जुड़े अंतर सरकारी फ्रेमवर्क के तहत 15 से 17 मई तक बैठकें कीं। नई दिल्ली से पहला अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधि मंडल अबू धाबी पहुंचा था। अबू धाबी में भारतीय दूतावास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) दक्षता पैदा करने और लागत कम करने के लिए प्रभावी वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। यूएई में भारतीय राजदूत संजय सुधीर ने डीपी वर्ल्ड यूएई, एडी पोर्ट्स ग्रुप और यूएई के फेडरल कस्टम अथॉरिटी जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ चर्चा की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में जहाजरानी, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड और दीनदयाल उपाध्याय बंदरगाह, कांडला के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने खलीफा बंदरगाह, फुजैरा बंदरगाह और जेबेल अली बंदरगाह का दौरा किया, जहां उन्होंने भारत और यूएई और उससे आगे माल की आवाजाही सुविधाजनक बनाने के लिए संबंधित बंदरगाह अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। उन्होंने यूएई के सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ भी बैठकें कीं। भारतीय दूतावास ने कहा, समझौते पर हस्ताक्षर करने के तीन महीने के भीतर हुई यात्रा दोनों सरकारों द्वारा आईएमईईसी परियोजना को दिए जाने वाले महत्व को दिखाती है। गलियारा प्रभावी वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग प्रदान करेगा। जिससे दक्षता पैदा होगी और लागत कम होगी। दोनों पक्ष कराक के शीघ्र क्रियान्वयन के लिए विचार-विमर्श जारी रखने पर सहमत हुए।