नई दिल्ली।
भारत और सऊदी अरब के बीच हज यात्रा को लेकर 2026 के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत आगामी वर्ष भारत से 1,75,025 हज यात्रियों को पवित्र मक्का की यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी। यह समझौता भारत-सऊदी अरब के बीच धार्मिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करने वाला माना जा रहा है।
हज समझौते पर हस्ताक्षर नई दिल्ली में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में किए गए। भारत की ओर से केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजिजू, जबकि सऊदी अरब की ओर से हज और उमरा मंत्री तौफीक बिन फौजान अल-रबीहा ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी और हज कमेटी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने बताया कि हज यात्रा को लेकर भारत और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से बेहतर तालमेल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं और पारदर्शी व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष सऊदी सरकार ने भी भारतीय हज यात्रियों के लिए डिजिटल सुविधा प्रणाली, स्वास्थ्य जांच और आवासीय व्यवस्था में कई सुधार किए हैं।
उन्होंने कहा कि 2026 के लिए तय किया गया कोटा भारत की बढ़ती जनसंख्या और धार्मिक यात्रियों की मांग के अनुरूप है। इसके अलावा, हज को अधिक सुगम और किफायती बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, महिला यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त सहायता पर भी बल दिया गया है।
सऊदी मंत्री तौफीक अल-रबीहा ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि हर साल भारत से आने वाले हज यात्री अनुशासन और श्रद्धा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन और पारस्परिक सहयोग के नए आयाम खुलेंगे।
गौरतलब है कि भारत से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु हज यात्रा पर जाते हैं। पिछले वर्ष भारत का कोटा 1,75,000 था, जबकि इस बार भी लगभग वही संख्या निर्धारित की गई है। हालांकि मंत्रालय के अनुसार, हज आवेदन प्रक्रिया में राज्यों के कोटे में कुछ मामूली समायोजन किए जाएंगे ताकि अधिक राज्यों से तीर्थयात्रियों को अवसर मिल सके।
सरकार ने संकेत दिया है कि भविष्य में हज यात्रा के लिए ग्रीन कॉरिडोर, डिजिटलीकृत वीजा प्रक्रिया और महिला स्वयंसेवी दलों की तैनाती जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं।
हज समझौते के इस नए अध्याय को भारत और सऊदी अरब के बीच धार्मिक संबंधों की निरंतर मजबूती और सहयोग के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।





