वॉशिंगटन/ब्रसेल्स। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बड़ा बयान देकर हलचल मचा दी है। ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) से अपील की है कि वह भारत और चीन से आने वाले सामान पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाए। उनका कहना है कि इन दोनों देशों की व्यापार नीतियां वैश्विक बाजार में असंतुलन पैदा कर रही हैं और इससे यूरोप समेत अन्य अर्थव्यवस्थाएं नुकसान झेल रही हैं।
ट्रंप का तर्क
ट्रंप ने अपने बयान में दावा किया कि भारत और चीन अपनी घरेलू उद्योगों को सब्सिडी और संरक्षण देकर वैश्विक स्तर पर अनुचित प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे में यूरोपीय संघ को कठोर कदम उठाकर अपने उद्योगों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जब तक इन देशों पर भारी शुल्क नहीं लगाया जाएगा, तब तक यूरोप के उद्योग सुरक्षित नहीं रहेंगे।”
क्यों बढ़ी नाराजगी
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और यूरोप दोनों चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत को लेकर चिंतित हैं। चीन का सस्ता सामान यूरोपीय बाजारों में तेजी से जगह बना रहा है। दूसरी ओर, भारत भी आईटी, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है, जिससे पश्चिमी देशों के उद्योगों पर दबाव बढ़ रहा है।
यूरोपीय संघ की स्थिति
हालांकि यूरोपीय संघ की ओर से ट्रंप की मांग पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि EU भारत और चीन पर अचानक कठोर टैरिफ लगाकर अपने व्यापारिक रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहेगा। यूरोपीय अर्थव्यवस्था पहले से मंदी और महंगाई की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में बड़े फैसले लेने से पहले वह सतर्कता बरतेगा।
चुनावी संदर्भ भी जुड़ा
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान अमेरिकी राजनीति से भी जुड़ा है। 2024 के चुनावी माहौल में वे लगातार “अमेरिका फर्स्ट” और कठोर व्यापार नीतियों की वकालत कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह के संदेश से वे घरेलू उद्योगों और मजदूर वर्ग का समर्थन जुटा सकते हैं।