भारतीय सेना के शस्त्रागार में अब एक और आधुनिक और स्वदेशी हथियार शामिल होने जा रहा है – एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS)। यह पूरी तरह भारतीय तकनीक से बनी हाई-टेक तोप न केवल दुश्मनों के लिए सिरदर्द बनेगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न को भी मजबूती देगी।
🔥 ATAGS: भारतीय सेना की नई मारक शक्ति
- रेंज: 48 किलोमीटर तक सटीक हमला
- कैलिबर: 155 मिमी / 52 कैलिबर
- तकनीक: ऑल-इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम, जिससे गोलों की लोडिंग और संचालन में बेहतरीन दक्षता
- क्षमता: अत्याधुनिक निशाना साधने की क्षमता, मुश्किल इलाकों जैसे पहाड़ और रेगिस्तान में भी परफॉर्मेंस बरकरार
🧠 कैसे बना ATAGS?
- विकास संस्था: DRDO की पुणे स्थित Armament Research and Development Establishment (ARDE)
- प्रारंभ: प्रोजेक्ट की शुरुआत 2012 में हुई थी
- सहयोग: DRDO, भारतीय सेना, भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स सहित कई निजी व सार्वजनिक कंपनियों की साझेदारी
ARDE के निदेशक ए. राजू ने कहा,
“महज 12 सालों में डिजाइन से लेकर सेना में शामिल होने तक का सफर तय करना बड़ी उपलब्धि है। यह आत्मनिर्भर भारत की ताकत है।”
💰 क्या है इस प्रोजेक्ट की लागत?
- कुल लागत: ₹6,900 करोड़
- करार: 26 मार्च को भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ
- डिलीवरी: कुल 307 ATAGS तोपें अगले 5 वर्षों में सेना को मिलेंगी
साथ ही, इस करार में 6×6 हाई मोबिलिटी गन टोइंग व्हीकल्स भी शामिल हैं, जो तोपों को चुनौतीपूर्ण इलाकों तक आसानी से पहुंचाने का काम करेंगे।
🛡️ सेना की ताकत बढ़ाएगा ATAGS
- यह तोप पुरानी और कम रेंज वाली तोपों को रिप्लेस करेगी।
- ATAGS की एंट्री से सेना की फायरपावर कई गुना बढ़ जाएगी।
- कम मेंटेनेंस, तेज कार्रवाई और स्वदेशी निर्माण – इसे भविष्य का हथियार बनाते हैं।
🇮🇳 आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
रक्षा मंत्रालय ने ATAGS को ‘Exemplary Mission Mode Success’ बताया है। यह DRDO का एक फ्लैगशिप डिफेंस प्रोजेक्ट बन चुका है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा –
“ATAGS न केवल एक आधुनिक तोप है, बल्कि भारतीय सेना के आर्टिलरी आधुनिकीकरण का प्रतीक है। यह आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है।”