नई दिल्ली: वैचारिक मतभेदों और तीखी राजनीतिक बयानबाजी के बीच देश की राजधानी से लोकतंत्र की एक बेहद खूबसूरत तस्वीर सामने आई है। संसद भवन परिसर में एक अनौपचारिक मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चाय की मेज पर एक साथ नजर आए। इस दौरान नेताओं के बीच जमकर ठहाके लगे, जिसने भारतीय राजनीति में लुप्त होते जा रहे परस्पर शिष्टाचार की एक नई मिसाल पेश की है।
राजनीतिक कटुता के बीच ‘शिष्टाचार’ की मिसाल
अक्सर टीवी डिबेट्स और चुनावी रैलियों में एक-दूसरे पर हमलावर रहने वाले इन दिग्गज नेताओं को जब एक साथ बैठकर हंसते-मुस्कुराते देखा गया, तो गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं।
- सहज संवाद: सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात पूरी तरह अनौपचारिक थी। चाय की चुस्कियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी और प्रियंका गांधी के बीच काफी देर तक सहज बातचीत हुई।
- ठहाकों का दौर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जो अपने मृदु व्यवहार और शिष्टाचार के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने भी इस चर्चा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कुछ क्षणों के लिए ऐसा लगा मानो राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कहीं पीछे छूट गई हो।
क्या थी चर्चा की वजह?
यह मुलाकात संसद के किसी विधायी कार्य के दौरान या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के बाद हुई। हालांकि इस दौरान किसी गंभीर राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि ऐसे क्षण स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनिवार्य हैं। नेताओं के बीच का यह शिष्टाचार यह संदेश देता है कि विचारों की लड़ाई व्यक्तिगत शत्रुता में नहीं बदलनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
जैसे ही इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सामने आए, सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। लोगों ने लिखा कि भले ही पार्टियां अलग हों, लेकिन राष्ट्रीय नेताओं के बीच ऐसा शिष्टाचार देखकर अच्छा लगता है।
- विपक्ष और सत्ता पक्ष: लंबे समय बाद सत्ता पक्ष और मुख्य विपक्षी दल के प्रमुख चेहरों के बीच ऐसी गर्मजोशी देखी गई है।
- शालीनता का संदेश: यह दृश्य उन कार्यकर्ताओं के लिए भी एक सबक है जो अक्सर सोशल मीडिया पर मर्यादाएं भूल जाते हैं।
लोकतंत्र की मजबूती का संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संसद के भीतर गतिरोध और बाहर विरोध प्रदर्शनों के दौर में ऐसी मुलाकातें ‘आइस ब्रेकर’ का काम करती हैं। यह शिष्टाचार यह सुनिश्चित करता है कि संवाद के द्वार हमेशा खुले रहें। प्रियंका गांधी और पीएम मोदी के बीच की यह हंसी-मजाक भरी बातचीत यह दर्शाती है कि भारतीय लोकतंत्र की जड़ें आज भी आपसी सम्मान और शालीनता पर टिकी हुई हैं।





