Wednesday, March 12, 2025

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भारतीय बाजार में निवेशकों को बेहतर रिटर्न

भारतीय शेयर बाजार का माहौल काफी अच्छा है। हमारे यहां विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई को भी निवेश से अच्छा रिटर्न मिला है। वर्तमान में भारतीय बाजार से उनकी भारी निकासी इसलिए हो रही है, क्योंकि अच्छी कमाई करने के बाद वे मुनाफा वसूली कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, सरकार के आपूर्ति उपाय और रिजर्व बैंक की मांग-पक्ष पहल मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए मिलकर काम कर रही हैं।एफआईआई ने पिछले साल अक्तूबर से अब तक करीब दो लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इसमें से 2025 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की बिकवाली हुई है। इससे बाजारों में तेज गिरावट आई है और निवेशकों की पूंजी 77 लाख करोड़ रुपये घट गई है। वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा, एफआईआई एक उभरते बाजार से दूसरे बाजार में नहीं जा रहे हैं। वैश्विक अनिश्चितताओं के समय में जैसा कि अभी देखा जा रहा है, वे मूल देश में वापस जाते हैं। ये बदलाव अस्थायी हो सकते हैं। सीतारमण ने कहा, बजट 2025 में दी गई आयकर में भारी छूट का मतलब यह नहीं है कि सरकार ने पूंजीगत खर्च से ध्यान हटाकर उपभोग पर केंद्रित कर लिया है। कोरोना के बाद से सरकार का जोर पूंजीगत परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए सार्वजनिक खर्च पर बना हुआ है।वित्त मंत्री ने कहा, सरकार ने पूंजीगत खर्च बजट बढ़ाया है और साथ ही कर में कटौती के माध्यम से कुछ रियायतें दी हैं, खासकर व्यक्तिगत आयकर में उन लोगों के लिए जो खर्च करना या बचत करना या निवेश करना चाहते हैं। बजट 2025-26 में कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) पिछले साल की तुलना में 10.2 प्रतिशत बढ़ाकर करीब 16 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

सीतारमण ने कहा, रेसिप्रोकल टैरिफ के संबंध में हम कई सुधारात्मक कदम उठा रहे हैं। इनमें एंटी डंपिंग शुल्क के साथ ही सीमा शुल्क में सुधार से ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत को हर लिहाज से निवेश के अनुकूल बनाया जाए। भारत ने टैरिफ को तर्कसंगत बनाकर पहले ही कई उपाय किए हैं और डंपिंग रोधी शुल्कों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। ज्यादातर अमेरिकी आयातों पर भारत में पहले से ही सबसे कम टैरिफ दरें लागू हैं और जिन कुछ पर अधिक टैरिफ दरें हैं, उन पर बातचीत की जाएगी।

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