भारतीय नौसेना की क्षमताओं में एक और स्वदेशी आयाम जुड़ गया है। देश में निर्मित पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) ‘आईएनएस निस्तार’ आज आधिकारिक रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में इसे नौसेना को समर्पित किया गया।
INS निस्तार: भारत की समुद्री शक्ति को मजबूती
- पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और निर्माण, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा तैयार
- 118 मीटर लंबा, 10,000 टन वजनी जहाज
- 300 मीटर तक की गहराई में ऑपरेशन और आपात स्थिति में 1,000 मीटर तक बचाव क्षमता
- DSRV (Deep Submergence Rescue Vehicle) के लिए मदर शिप की भूमिका निभाता है
- 80% स्वदेशी उपकरणों से सुसज्जित, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
- इसमें राहत, बचाव, और मरम्मत कार्यों के लिए आधुनिक तकनीक मौजूद है
इतिहास और भावनात्मक जुड़ाव
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा:
“पुराने जहाज कभी नहीं मरते, वे नए रूप में लौटते हैं।”
उन्होंने INS निस्तार को भारत की डाइविंग और डीप सी ऑपरेशन्स क्षमता का प्रतीक बताया। इससे पहले भारत को 1969 में सोवियत संघ से पहला DSV मिला था, जो दो दशक सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुआ था।
भारत का आत्मनिर्भर सैन्य अभियान
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने INS निस्तार के शामिल होने को ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा:
“भारत अब आयातक नहीं, हथियारों का निर्यातक बन रहा है। हमने 23,622 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात किए हैं और अब लक्ष्य 50,000 करोड़ का है।”
इस युद्धपोत के निर्माण में 120 MSME कंपनियों ने योगदान दिया, जो देश की औद्योगिक साझेदारी और तकनीकी प्रगति का परिचायक है।
निस्तार – नाम में है अर्थ
‘निस्तार’ संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘उद्धार’ या ‘मुक्ति’। यह नाम जहाज की बचाव क्षमता और संकट में सहायता देने की भूमिका को दर्शाता है।
INS निस्तार सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता, तकनीकी प्रगति और वैश्विक रक्षा ताकत का प्रतीक है। यह भारत को उन गिने-चुने देशों की श्रेणी में लाता है जिनके पास अत्याधुनिक DSV क्षमता है। अब भारतीय नौसेना और अधिक सशक्त, सक्षम और तैयार है – समुद्र की गहराइयों में भी चुनौतियों से निपटने के लिए।