मुंबई। महाराष्ट्र की सत्तारुढ़ महायुति (BJP-शिंदे शिवसेना-पवार NCP) गठबंधन में बढ़ते कलह के बीच, पूर्व राकांपा प्रमुख शरद पवार ने एक तीखा बयान दिया है। उन्होंने संकेत दिया है कि भाजपा को अब एकनाथ शिंदे की ज़रूरत धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
पवार ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा है कि शिंदे “शांति बनाए रखने वाले नेता” की बजाय अपनी अगली राजनीतिक दिशा तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा:
“हमें शिंदे साहेब बहुत अच्छी तरह से पता है — उनकी आदत चुप रहने की है। लेकिन अब यह चुप्पी एक नए तूफान से पहले की तरह दिखती है।”
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब महायुति के भीतर शिंदे और अजित पवार समूह के बीच चल रहे तनाव की खबरें लगातार बढ़ रही हैं। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक़, शिंदे खेमे में यह भावना है कि उन्हें गठबंधन में पर्याप्त शक्ति और सम्मान नहीं मिल रहा है।
पवार ने स्पष्ट किया कि उनकी एनसीपी का BJP के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा:
“हम कभी भी BJP के साथ फिर से गठबंधन के बारे में नहीं सोच सकते।”
कलह की बुनियाद — क्या चल रहा है महायुति में?
- सत्ता संघर्ष:महायुति में सत्ता का संतुलन BJP, शिंदे-शिवसेना और पवार-एनसीपी के बीच बना हुआ है, लेकिन पावर शेयरिंग को लेकर मतभेद खड़े हो चुके हैं।
- शिंदे की नाराज़गी:शिंदे खेमे के लोग मानते हैं कि उन्हें सरकार में उनके हिस्से जितनी भूमिका और संसाधन नहीं मिले जितना अपेक्षित था।
- पवार की रणनीति:पवार ने मीडिया को बताया कि शिंदे की हाल की दिल्ली यात्रा और अमित शाह से मुलाकात को “तूफान से पहले की नीरवता” बताया जा रहा है।
- राजनीतिक इशारा:पवार ने संभावित झटका देने की बात करते हुए कहा है कि शिंदे भविष्य में अलग रास्ता चुन सकते हैं, जिससे BJP को खुद उनकी ज़रूरत कम पड़ सकती है।
राजनीतिक असर और आगे की संभावनाएँ
- महायुति की स्थिरता पर सवाल:पवार के तेज़ तेवर के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि महायुति गठबंधन अब सुदृढ़ नहीं रहना चाहता, और अंदरूनी फूट किसी बड़े स्वरूप में सामने आ सकती है।
- शिंदे की भूमिका का पुनर्गठन:अगर शिंदे ने पार्टी की दिशा बदल दी, तो BJP को राज्य में अपना राजनीतिक गठबंधन फिर से परखना पड़ सकता है—और हो सकता है कि उसे अब शिंदे जैसा सहयोगी जरूरी न लगे।
- एनसीपी–पवार की रणनीति:पवार यह संदेश देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी महायुति के समर्थन से स्वतंत्र तरीके से चल सकती है और उन्हें “बीजेपी-मंच” पर अपनी पहचान फिर से आकार देने का अवसर मिल सकता है।
- भविष्य के चुनावी समीकरण:भविष्य में होने वाले नगर निकाय, ज़िला परिषद और विधानसभा चुनावों में महायुति पर वैकल्पिक गठबंधन या टूट की संभावना बढ़ गई है।





