दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बड़ा हाथ है। बताया जाता है कि संघ ने राष्ट्रीय राजधानी की प्रगति के लिए प्रभावी और जवाबदेह सरकार को चुनने के लिए मतदाताओं को खूब मनाया। संघ ने मौन रूप से मतदाता जागरूकता अभियान चलाया और हजारों बैठकें की। चुनाव में भाजपा की जीत से साफ है कि संघ का अभियान रंग लाया है। बताया जाता है कि आरएसएस ने बैठकों में मतदाताओं के सामने गंदगी से मुक्ति, बेहतर पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, वायु प्रदूषण से मुक्ति और यमुना नदी की सफाई जैसे मुद्दे रखे। इन मुद्दों के जरिये जनता को बताया गया कि भाजपा शासन ही दिल्ली का विकास कर सकता है। सूत्र बताते हैं कि संघ के स्वयंसेवकों ने आम आदमी पार्टी के दिल्ली शासन मॉडल को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार को खत्म किया। साथ ही भ्रष्टाचार और आप के 10 साल के शासन के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं करने के मुद्दे भी जनता के सामने रखे। बैठकों में दिल्ली में अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। आरएसएस के एक सूत्र ने बताया कि अकेले द्वारका में ही कम से कम 500 बैठकें हुईं। बैठकों में स्वयंसेवकों ने लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने किसी राजनीतिक दल के समर्थन में वोट न डालने की बात कहते हुए मतदान के प्रति भी लोगों को जागरूक किया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आरएसएस ने चुनाव के एक महीने पहले से अपना अभियान शुरू कर दिया था। ऐसी झुग्गी-झोपड़ियों, अनधिकृत कॉलोनियों में भी छोटे-छोटे समूहों की बैठकों हुईं, जहां आम आदमी पार्टी को समर्थन प्राप्त था। आरएसएस ने यहां पर काम करने वाले संगठनों से हाथ मिलाया और अभियान में उनका सहयोग लिया। सूत्रों ने बताया कि आरएसएस श्रेय लेने के लिए काम नहीं करता, बल्कि वह पर्दे के पीछे काम करने में विश्वास करता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आरएसएस ने पर्दे के पीछे रहकर भाजपा की जीत की पटकथा लिखी।