Wednesday, October 22, 2025

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भागलपुर में महागठबंधन का सियासी ड्रामा: अंतिम समय में बदला समीकरण, कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा के आगे झुकी RJD, डिप्टी मेयर सलाहुद्दीन अहसन हुए चुनाव से बाहर

भागलपुर।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच महागठबंधन (RJD-कांग्रेस) में मचा घमासान भागलपुर में एक बड़े राजनीतिक ड्रामे के रूप में सामने आया। दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन आरजेडी के टिकट पर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे भागलपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर सलाहुद्दीन अहसन को कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने आखिरी वक्त पर मैदान से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
नामांकन के दिन सुबह से ही शहर में सलाहुद्दीन अहसन का जुलूस निकला। सड़कों पर आरजेडी के झंडे लहराए गए और समर्थक जीत के नारे लगाने लगे। लेकिन दोपहर होते-होते स्थिति पूरी तरह बदल गई। सूत्रों के मुताबिक, झारखंड सरकार के मंत्री और तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव ने अजीत शर्मा की ओर से पहल करते हुए तेजस्वी यादव से सीधे बात की। कुछ ही देर में समीकरण बदल गया और आरजेडी नेतृत्व ने अहसन को नामांकन करने से रोक दिया।

इसी दौरान सोशल मीडिया पर सलाहुद्दीन अहसन के “किडनैप” होने की खबरें वायरल होने लगीं। फेसबुक और व्हाट्सएप पर तरह-तरह के दावे किए गए। हालांकि बाद में डिप्टी मेयर के पीए उमर ताज ने इन खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनका कोई अपहरण नहीं हुआ। बल्कि, शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर उन्हें बातचीत के लिए बुलाया गया था।
जानकारी के अनुसार, नामांकन जुलूस जब वैरायटी चौक पहुंचा, तभी झारखंड के मंत्री संजय यादव का फोन आया। इसके बाद डिप्टी मेयर जुलूस छोड़कर नगर निगम कार्यालय पहुंचे और फिर मायागंज में हुई एक अहम बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में अजीत शर्मा, संजय यादव और शिशुपाल भारतीय समेत कई नेता मौजूद थे।

बैठक के बाद तय हुआ कि भागलपुर सीट कांग्रेस के खाते में ही रहेगी और आरजेडी इस पर प्रत्याशी नहीं उतारेगी। बताया जा रहा है कि डिप्टी मेयर को “बड़ा पद” या भविष्य में “महत्वपूर्ण जिम्मेदारी” देने का आश्वासन दिया गया है।
दिनभर चले इस राजनीतिक ड्रामे के बाद शाम तक स्थिति साफ हो गई—नामांकन का समय समाप्त हुआ और सलाहुद्दीन अहसन का जुलूस सड़क तक सीमित रह गया। समर्थक नामांकन की प्रतीक्षा करते रह गए, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने सहजता से पर्चा दाखिल कर मैदान में अपनी स्थिति मजबूत कर ली।
भागलपुर में हुई इस “सेटिंग पॉलिटिक्स” ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया कि सीट बंटवारे को लेकर भीतरखाने कितनी खींचतान चल रही है

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