वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राउन यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में हुई घातक गोलीबारी की घटनाओं के बाद एक बड़ा नीतिगत फैसला लिया है। ट्रंप प्रशासन ने ‘डाइवर्सिटी वीजा प्रोग्राम’, जिसे आम भाषा में ग्रीन कार्ड लॉटरी कहा जाता है, को तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspend) कर दिया है। यह कदम अमेरिका की सुरक्षा और आव्रजन नीति को और अधिक सख्त बनाने की दिशा में उठाया गया है।
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
हाल ही में ब्राउन यूनिवर्सिटी और MIT परिसरों में हुई गोलीबारी ने पूरे अमेरिका को हिला कर रख दिया था। जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि हमले का मुख्य संदिग्ध, क्लाउडियो नेव्स वैलेंटे (एक पुर्तगाली नागरिक), साल 2017 में इसी ग्रीन कार्ड लॉटरी प्रोग्राम के जरिए अमेरिका में दाखिल हुआ था।
- सुरक्षा और आव्रजन में चूक: होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने कहा कि “इस जघन्य व्यक्ति को कभी भी हमारे देश में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए थी।”
- तात्कालिक कार्रवाई: राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताते हुए प्रोग्राम को तब तक रोकने का आदेश दिया है जब तक कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया की पूरी समीक्षा नहीं हो जाती।
क्या भारतीयों पर होगा इसका असर?
भारतीय नागरिकों के लिए इस खबर के दो पहलू हैं:
- सीधा असर (Direct Impact): तकनीकी रूप से, भारत पिछले कई वर्षों से इस लॉटरी प्रोग्राम के लिए पात्र (Ineligible) नहीं रहा है। नियम के मुताबिक, जिन देशों से पिछले 5 वर्षों में 50,000 से अधिक लोग अमेरिका जा चुके हैं, वे इस लॉटरी में भाग नहीं ले सकते। इसलिए, इस निलंबन से भारत के उन लोगों पर कोई सीधा फर्क नहीं पड़ेगा जो लॉटरी के जरिए ग्रीन कार्ड चाहते थे।
- अप्रत्यक्ष असर (Indirect Impact): हालांकि सीधा प्रभाव नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप प्रशासन के सुरक्षा और आव्रजन के प्रति ‘हार्डलाइन’ (कठोर) रवैये को दर्शाता है। इससे भविष्य में H-1B वीजा, फैमिली स्पॉन्सरशिप और अन्य ग्रीन कार्ड श्रेणियों में भी जांच और सख्ती बढ़ने की संभावना है, जिससे भारतीय पेशेवर प्रभावित हो सकते हैं।
ग्रीन कार्ड लॉटरी क्या है?
यह प्रोग्राम 1990 में उन देशों के लोगों को नागरिकता देने के लिए शुरू किया गया था जहाँ से अमेरिका में कम आव्रजन होता है। हर साल दुनिया भर से लगभग 50,000-55,000 लोगों को कंप्यूटर आधारित रैंडम लॉटरी के जरिए ग्रीन कार्ड दिया जाता था। 2025 के लिए लगभग 2 करोड़ लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था, जो अब अधर में लटक गए हैं।
भविष्य की राह
राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका में सुरक्षा और आव्रजन को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। आव्रजन समर्थकों का कहना है कि एक अपराधी की वजह से लाखों निर्दोषों का रास्ता रोकना गलत है, वहीं ट्रंप समर्थकों का मानना है कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है।
“ग्रीन कार्ड लॉटरी एक ‘विनाशकारी’ योजना रही है। हमने अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस द्वार को बंद करने का निर्णय लिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।” — क्रिस्टी नोएम, होमलैंड सिक्योरिटी सचिव





