12 जून को हुए एअर इंडिया-171 हादसे के बाद सरकार ने एयरलाइन के संचालन में गंभीर खामियों को लेकर टाटा संस और एअर इंडिया के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को स्पष्ट संदेश दिया है। हालिया उच्च स्तरीय बैठक में सरकार ने दो सख्त निर्देश दिए—
- बैकसीट ड्राइविंग कल्चर यानी पर्दे के पीछे से फैसले लेने की व्यवस्था को तुरंत बंद किया जाए।
- जिम्मेदारी निभा रहे अधिकारियों को फैसला लेने का अधिकार भी मिले, न कि उन्हें सिर्फ गलतियों का दोषी ठहराने के लिए पद पर बैठाया जाए।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, सचिव समीर कुमार सिन्हा और डीजीसीए प्रमुख फैज अहमद किदवई ने 25 जुलाई को चंद्रशेखरन से मुलाकात की। इसमें सुरक्षा, मेंटिनेंस, ट्रेनिंग, इंजीनियरिंग और आईओसीसी जैसे अहम विभागों में निर्णय प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंता जताई गई।
‘पद किसी और के पास, फैसले कोई और लेता है‘
बैठक में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि कुछ महत्वपूर्ण विभागों में ऐसे हालात हैं, जहां कागज़ी तौर पर जिम्मेदार व्यक्ति कुछ और है, पर निर्णय कहीं और से लिए जाते हैं। यह मॉडल बेहद खतरनाक है और तत्काल बदला जाना चाहिए। चंद्रशेखरन ने इन बातों पर सहमति जताई है।
तीन दिन चली समीक्षा, गहरी चिंता
हादसे के बाद तीन दिनों तक उच्च स्तरीय मंथन हुआ। 21 जून को डीजीसीए ने एअर इंडिया के तीन अधिकारियों को क्रू शेड्यूलिंग में गड़बड़ी के चलते हटा दिया था। साथ ही यह चेतावनी दी गई कि यदि ऐसी लापरवाही जारी रही, तो नियामक एजेंसी को एअर इंडिया का लाइसेंस निलंबित करने तक के कदम उठाने पड़ सकते हैं।
गुरुग्राम कार्यालय में हादसाग्रस्त विमानों के उपकरण नहीं रखे जाएंगे
एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह सामने आया कि गुरुग्राम स्थित कार्यालय में एअर इंडिया द्वारा दुर्घटनाग्रस्त विमानों के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, सीटें और उपकरण प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। हालांकि मकसद सुरक्षा की याद बनाए रखना हो सकता है, लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी इसे मानसिक रूप से असहज करने वाला मानते हैं। अधिकारियों ने इसे हटाने की सलाह दी है।
‘अब भी है सुधार का मौका’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस जैसे मजबूत साझेदारों के साथ एअर इंडिया के पास वैश्विक स्तर पर खुद को पुनः स्थापित करने का सुनहरा अवसर है। सरकार एयरलाइन उद्योग को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन एयर इंडिया को अपने आंतरिक प्रशासनिक ढांचे को सुदृढ़ करना होगा।”