पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म होने लगा है। इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। नदिया जिले के कृष्णानगर में आयोजित एक रैली में उन्होंने महिलाओं से अपील की कि अगर उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाते हैं, तो वे बेलन, चिमटा और रसोई में इस्तेमाल होने वाले औज़ारों के साथ लड़ाई के लिए तैयार रहें।
महिलाओं से ‘अधिकारों की रक्षा’ की अपील
ममता ने कहा कि कुछ ताकतें “माताओं और बहनों के अधिकार छीनने” की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस बुलाकर महिलाओं को डराने–धमकाने की कोशिश की जाएगी।
उन्होंने कहा—
“अगर एसआईआर में आपके नाम काट दिए गए तो क्या आप यह बर्दाश्त करेंगी? आपके पास ताकत है, हथियार हैं—रसोई के औज़ार। महिलाएँ आगे बढ़कर लड़ेंगी और पुरुष उनके पीछे खड़े होंगे।”
‘कौन ज़्यादा शक्तिशाली—महिलाएँ या भाजपा?’
ममता ने चुनौती देते हुए कहा कि वह देखना चाहती हैं कि अधिक शक्तिशाली कौन है—महिलाएँ या भाजपा।
उन्होंने कहा कि वह सांप्रदायिकता में नहीं, धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनावों में “पैसे का इस्तेमाल” करती है और “दूसरे राज्यों से लोगों को लाकर जनता को बांटने” की कोशिश करती है।
गीता पाठ आयोजन पर सवाल
ममता ने हाल ही में कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में आयोजित सामूहिक भगवत गीता पाठ पर टिप्पणी करते हुए कहा
“गीता का पाठ घर में भी किया जा सकता है, फिर सार्वजनिक आयोजन की जरूरत क्यों? ईश्वर हृदय में रहते हैं।”
उन्होंने कहा कि धर्म का असली अर्थ पवित्रता, मानवता और शांति है—न कि हिंसा, भेदभाव और विभाजन।
महान हस्तियों का हवाला
अपने संबोधन में ममता ने रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का उदाहरण देते हुए कहा कि
“इन महान हस्तियों ने कभी समाज को विभाजित नहीं किया, तो फिर आप कौन हैं?”
भाजपा पर वोटिंग प्रक्रिया प्रभावित करने का आरोप
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा “आईटी सेल द्वारा बनाई गई सूचियों” के आधार पर चुनाव कराने की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा—
“बिहार ऐसा नहीं कर सका, लेकिन बंगाल करेगा, चाहे कोई कुछ भी कर ले।”
व्यक्तिगत पसंद पर भी राजनीति का आरोप
ममता ने कहा कि भाजपा लोगों को यह भी तय करने नहीं देती कि वे मछली या मांस खाना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि खान–पान व्यक्तिगत पसंद है और इसमें हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
‘घायल बाघ और अधिक खूँखार’—कड़ी चेतावनी
अपने भाषण के अंत में ममता ने चेतावनी देते हुए कहा कि
“एक घायल बाघ स्वस्थ बाघ से अधिक खूँखार होता है। अगर हम पर हमला होगा, तो हम पलटवार करना जानते हैं और अन्याय को रोकना भी।”





