अमेरिका-भारत संबंधों को लेकर बड़ा दावा किया गया है। एक थिंक टैंक की विशेषज्ञ ने कहा है कि बीते दशकों में अमेरिकी प्रशासन भारत का सबसे अधिक समर्थक रहा है और अगले राष्ट्रपति के लिए ऐसा करना कठिन होगा। क्योंकि आने वाला ट्रंप प्रशासन महाशक्ति के तौर पर राजनीति करने में विश्वास रखने वाला है। हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में इनिशिएटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया की निदेशक अपर्णा पांडे ने बताया कि अमेरिका का मौजूदा बाइडन प्रशासन बीते दशकों में सबसे अधिक भारत समर्थक रहा है। किसी भी राष्ट्रपति प्रशासन के लिए इसका अनुसरण करना कठिन होगा। भारत के साथ अमेरिका के संबंध इसलिए मजबूत हुए क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में संबंधों में गहराई आई है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक पतन और भाड़े पर हत्या की घटना से जुड़े मुद्दे जैसी परेशानियों ने साझेदारी को पटरी से उतरने नहीं दिया। भारत की चिंता चाहे पाकिस्तान हो या चीन को ध्यान में रखा गया। अमेरिका ने चीन को लेकर भारत को खुफिया जानकारी और अन्य सहायता प्रदान की। हालांकि बांग्लादेश को लेकर दोनों के बीच असहमति बनी रही।ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका भारत संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि भारत ऐसे देशों में एक जिन्हें द्विदलीय समर्थन प्राप्त है। ट्रंप के प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं और भारत के बारे में उनका समग्र दृष्टिकोण सकारात्मक है। प्रमुख पदों के लिए उनके नामित प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज, सीनेटर मार्को रुबियो ने लंबे समय से भारत के पक्ष में रुख व्यक्त किया है। इससे यह तो साफ है कि अधिकांश नीतियां जारी रहेंगी। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में ही भारत-प्रशांत नीति, क्वाड और भारत के साथ उच्च प्रौद्योगिकी (एसटीए-1) साझा करना शुरू किया गया था। इसलिए इनमें से अधिकांश के जारी रहने की संभावना है।