चारधाम की सुगम यात्रा के लिए शासन-प्रशासन की कोशिशें रंग नहीं ला पा रही हैं। तीर्थयात्रा को आए कई श्रद्धालु धामों के दर्शन किए बिना ही घरों को लौटने लगे हैं। प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था भी शुरू की, लेकिन अब तक करीब चार हजार तीर्थयात्री ऋषिकेश से घर लौट गए। लौटने वाले तीर्थयात्रियों का कहना था कि उत्तराखंड में पहुंचने के बाद भी धामों के दर्शन न कर पाना दुर्भाग्य है। यह उनके जीवन का सबसे बुरा अनुभव है। बता दें कि ये लोग अस्थायी पंजीकरण के लिए रोके गए थे फिर यह व्यवस्था भी बंद कर दी गई। ऑफलाइन पंजीकरण बंद होने पर ऋषिकेश में रोके गए करीब 12 हजार तीर्थयात्रियों को धामों के दर्शन कराने के लिए प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था की। प्रशासन की योजना थी कि अस्थायी पंजीकरण कर इन यात्रियों को धामों के लिए रवाना किया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। सोमवार शाम करीब पांच बजे प्रशासन ने अस्थायी पंजीकरण व्यवस्था भी बंद कर दी। ट्रांजिट कैंप प्रशासन के मुताबिक, 12 हजार के सापेक्ष छह हजार यात्रियों का ही अस्थायी पंजीकरण कराया जा सका। शेष छह हजार में से करीब चार हजार तीर्थयात्री बिना दर्शन लौट गए हैं। करीब ढाई हजार तीर्थयात्री अब भी ट्रांजिट कैंप परिसर व धर्मशालाओं में ठहरे हैं। प्रशासन ने 31 मई तक ऑफलाइन पंजीकरण बंद रखने का निर्णय लिया है। ट्रांजिट कैंप में रुके यात्रियों में से करीब 800 यात्रियों ने ऑफलाइन पंजीकरण शुरू होने तक यहीं रुकने का प्रण लिया है। उनका कहना है कि ध्रुव ने अनिश्चित समय के लिए भगवान की प्रतीक्षा की। हम भी ऑफलाइन पंजीकरण शुरू होने का इंतजार कर लेंगे। प्रशासन का कहना है कि इन यात्रियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई है।