Friday, October 24, 2025

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बातचीत आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार सुबह राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी के लिए प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि केंद्र मणिपुर में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहता है। मणिपुर के कुकी और मैतेई समुदाय को यह समझना होगा कि बातचीत ही आगे बढ़ने का एक रास्ता है। दोनों समुदायों के साथ 13 बैठकें हो चुकी हैं। जल्द ही दोनों समुदायों की अंतिम बैठक दिल्ली में होगी। इसके बाद राज्यसभा में मणिपुर राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव पारित हो गया।  उन्होंने कहा कि मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद मई 2023 में राज्य में हिंसा भड़की। इस आदेश से आदिवासी समुदाय आरक्षण खत्म होने को लेकर असुरक्षा से घिर गया और आदिवासी बनाम गैर आदिवासी मुद्दा बन गया। यह धार्मिक संघर्ष या आतंकवाद या कानून व्यवस्था फेल होने का मामला नहीं है। इस जातीय हिंसा में अब तक मारे गए 260 लोगों में से 70 फीसदी लोगों की हत्या पहले 15 दिन में हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जातीय हिंसा को 15 दिन में नियंत्रित करना मुश्किल होता है। राज्य में पहली बार ऐसी हिंसा नहीं हुई है। पहले भी ऐसे मामलों को शांत करने में सालों लग गए। भाजपा ने कभी भी इन घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं किया। विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण करके मणिपुर के जख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य सभा में प्रस्ताव इसलिए देर से लाया गया क्योंकि बैठकें चल रहीं हैं। बजट सत्र के दौरान भी दो बैठकें हुईं और जल्द ही दिल्ली में दोनों समुदायों के साथ तीसरी और अंतिम बैठक होगी। मुझे उम्मीद है कि दोनों समुदाय समझेंगे और बातचीत का रास्ता अपनाएंगे। मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद नौ फरवरी को राष्ट्रपति शासन राजनीतिक शून्यता के कारण लगाया गया था, न कि राज्य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के कारण।

उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि कांग्रेस के पास राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी। किसी भी विधायक ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। 13 फरवरी को पीआर लगाया गया, लेकिन उससे पहले भी नवंबर, दिसंबर, जनवरी और मार्च के महीनों में शून्य हिंसा की सूचना मिली थी। गलतफहमी पैदा नहीं की जानी चाहिए।

 

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