ढाका: पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। हफ्तों तक चले उग्र छात्र आंदोलन और व्यापक जन-विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के फैसले ने बांग्लादेश की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया है। वर्तमान में देश की बागडोर नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के हाथों में है, जो कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने और नए सिरे से चुनाव कराने की चुनौती का सामना कर रही है।
घटनाक्रम के मुख्य बिंदु:
- आंदोलन की शुरुआत: इस अशांति की जड़ें ‘आरक्षण विरोधी आंदोलन’ में थीं। छात्रों ने सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण (मुक्तिवाहिनी के वंशजों के लिए) को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था, जो बाद में ‘हसीना हटाओ’ के एक सूत्रीय एजेंडे में बदल गया।
- शेख हसीना का इस्तीफा: प्रदर्शनकारियों के ‘ढाका चलो’ मार्च और प्रधानमंत्री आवास (गणभवन) की ओर बढ़ते हुजूम को देखते हुए शेख हसीना ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सुरक्षा कारणों से भारत में शरण ली।
- हिंसा और तोड़फोड़: सत्ता परिवर्तन के दौरान बांग्लादेश के कई हिस्सों में भारी हिंसा देखी गई। भीड़ ने न केवल सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया, बल्कि आवामी लीग के नेताओं के घरों और अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों पर भी हमले की खबरें आईं। ढाका में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त किया गया।
- डॉ. मोहम्मद यूनुस का आगमन: सेना और छात्र नेताओं के बीच हुई चर्चा के बाद, ‘माइक्रो-क्रेडिट’ के जनक डॉ. मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया। उन्होंने देशवासियों से शांति बनाए रखने और लोकतंत्र की बहाली में सहयोग करने की अपील की है।
- भारत पर प्रभाव और सीमा सुरक्षा: बांग्लादेश में हो रही उथल-पुथल का सीधा असर भारत पर भी पड़ा है। भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ (BSF) को ‘हाई अलर्ट’ पर रखा गया है ताकि घुसपैठ की किसी भी कोशिश को रोका जा सके। भारत सरकार ने वहां रह रहे भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: संयुक्त राष्ट्र (UN) और अमेरिका सहित कई देशों ने बांग्लादेश में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने और जल्द से जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने पर जोर दिया है।
- अर्थव्यवस्था को चोट: लगातार कर्फ्यू, इंटरनेट शटडाउन और हिंसक प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश का प्रमुख परिधान (Garment) उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है।
बांग्लादेश में वर्तमान स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। हालांकि अंतरिम सरकार ने कामकाज संभाल लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों की उम्मीदों पर खरा उतरना, कानून-व्यवस्था स्थापित करना और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करना एक बड़ी चुनौती है। पूरी दुनिया की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या बांग्लादेश फिर से स्थिरता और लोकतंत्र के रास्ते पर लौट पाएगा।





