Friday, December 19, 2025

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बांग्लादेश में ‘यूनुस सरकार’ बेबस: नियंत्रण से बाहर हुए हालात, हर तरफ कट्टरपंथियों का कब्जा; 15 महीने में 5000 हत्याएं

ढाका। पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे काले दौर से गुजर रहा है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में भी देश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। ताजा रिपोर्टों के अनुसार, प्रशासनिक पकड़ ढीली होने के कारण देश के अधिकांश हिस्सों पर कट्टरपंथी ताकतों का कब्जा हो गया है। सबसे चौंकाने वाले आंकड़े यह सामने आए हैं कि पिछले 15 महीनों के भीतर देश के विभिन्न हिस्सों में 5000 से अधिक हत्याएं की गई हैं, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बेकाबू अराजकता और कट्टरपंथ का उदय

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से शुरू हुआ हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकारी तंत्र अब उपद्रवियों और कट्टरपंथी संगठनों के सामने असहाय नजर आ रहा है।

  • कट्टरपंथियों का वर्चस्व: ढाका से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, कट्टरपंथी समूहों ने समानांतर सत्ता स्थापित कर ली है। अल्पसंख्यकों, उदारवादियों और विपक्षी नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है।
  • पुलिस और सेना का अभाव: देश की सड़कों पर पुलिस की सक्रियता न के बराबर है, जिससे अपराधियों और दंगाइयों के हौसले बुलंद हैं।
  • अस्थिर प्रशासन: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार शांति बहाल करने के वादों के बावजूद जमीनी स्तर पर विफलता का सामना कर रही है।

मौत का खौफनाक आंकड़ा

पिछले 15 महीनों के दौरान हुई 5000 हत्याओं ने पूरे देश में दहशत का माहौल बना दिया है।

  1. राजनीतिक हिंसा: इनमें से अधिकांश हत्याएं राजनीतिक प्रतिशोध और वैचारिक मतभेदों के कारण हुई हैं। शेख हसीना की पार्टी के सदस्यों और समर्थकों पर हमले जारी हैं।
  2. हिंसा का नया केंद्र: चटगांव और सिलहट जैसे क्षेत्रों में हिंसा की घटनाएं सबसे अधिक दर्ज की गई हैं। कई मामलों में तो भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या (Lynching) की वारदातों को अंजाम दिया गया है।
  3. न्याय प्रणाली ठप: अदालतों और थानों में कामकाज ठप होने के कारण पीड़ितों को कोई राहत नहीं मिल रही है, जिससे अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता

बांग्लादेश में बढ़ती अराजकता और कट्टरपंथ को लेकर संयुक्त राष्ट्र और भारत समेत पड़ोसी देश चिंतित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति को जल्द नियंत्रित नहीं किया गया, तो बांग्लादेश दक्षिण एशिया में अस्थिरता का सबसे बड़ा केंद्र बन सकता है। मानवाधिकार संगठनों ने यूनुस सरकार से तुरंत प्रभावी कदम उठाने और लोकतंत्र की बहाली की दिशा में काम करने की मांग की है।

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