Monday, August 4, 2025

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बांग्लादेश की रक्षा संप्रभुता पर संकट: टैरिफ कटौती के बदले यूनुस सरकार ने किया ‘गोपनीय आत्मसमर्पण’ – रिपोर्ट में खुलासा

बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार पर एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सौदे को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस ने बिना संवैधानिक जनादेश के सत्ता संभालने के साथ-साथ एक गुप्त अमेरिका समर्थित रक्षा समझौता भी किया है, जिसके तहत बांग्लादेश ने अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता से समझौता किया है।

 रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

नार्थईस्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार:

  • यूनुस ने डीप स्टेट और विदेशी प्रायोजकों के साथ मिलकर सत्ता में आने की योजना बनाई।
  • टैरिफ में मामूली कटौती के बदले बांग्लादेश ने अपने रक्षा अधिकारों का आत्मसमर्पण कर दिया।
  • यह सौदा गोपनीय तरीके से हस्ताक्षरित किया गया, जिससे बांग्लादेश अब रूस या चीन से सैन्य उपकरण नहीं खरीद सकता।

 “रणनीतिक लचीलापन नहीं, एकतरफा आत्मसमर्पण”

रिपोर्ट इस समझौते को राजनयिक सहयोग नहीं, बल्कि एक तरफा रणनीतिक आत्मसमर्पण करार देती है।
यह समझौता बांग्लादेश की रक्षा नीति की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है और उसे अमेरिका-प्रभावित सैन्य नीति के अधीन करता है।

 

🇺🇸 अमेरिका का दबाव: ‘अगर रूस-चीन से सौदा किया तो…’

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी प्रभारी डी अफेयर्स ट्रेसी एन जैकबसन ने हाल ही में ढाका स्थित सशस्त्र बल डिवीजन का दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने:

  • एक बंद कमरे की मीटिंग में बांग्लादेश के शीर्ष रक्षा अधिकारियों और यूनुस को चेतावनी दी।
  • साफ कहा कि यदि बांग्लादेश रूस या चीन से रक्षा सहयोग जारी रखता है, तो प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

 

 क्या है टैरिफ डील की सच्चाई?

यूनुस सरकार ने मामूली व्यापारिक टैरिफ राहत पाने के बदले रक्षा क्षेत्र में निर्णायक स्वतंत्रता छोड़ने का जो निर्णय लिया है, उसे अब बांग्लादेश की कूटनीतिक संप्रभुता पर गंभीर प्रश्न के रूप में देखा जा रहा है।

यह डील:

  • चीन और रूस जैसे पारंपरिक रक्षा भागीदारों से दूरी बढ़ाएगी।
  • बांग्लादेश को अमेरिकी रणनीतिक ब्लॉक में एकतरफा ढकेल देगी।
  • संभावित रूप से देश के आंतरिक और क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ सकती है।

 

🇧🇩 क्या बांग्लादेश की जनता को बताया गया?

सबसे बड़ा सवाल यही है कि:

  • क्या बांग्लादेश की जनता को इस सौदे की जानकारी दी गई?
  • क्या इस नीति परिवर्तन पर कोई सार्वजनिक चर्चा हुई?
  • क्या यह सौदा सिर्फ राजनीतिक स्थायित्व की कीमत पर हुआ?

इन सवालों ने यूनुस सरकार की वैधता, पारदर्शिता और जवाबदेही को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

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