बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार सुबह विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस पवित्र अवसर पर मंदिर परिसर “बदरीविशाल की जय” के गगनभेदी नारों से गूंज उठा। कपाट बंद होने की प्रक्रिया को देखने और भगवान बदरीविशाल के दर्शन करने के लिए देश-दुनिया से आए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही मंदिर प्रांगण में उमड़ी रही।
धर्मपुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक अनुष्ठानों के बीच भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को दधि-कलश से अभिषेक कर शीतकालीन पूजा संपन्न कराई। इसके बाद निर्धारित परंपरा के अनुसार कपाटों को सुव्यवस्थित रूप से बंद किया गया। धाम में मौजूद श्रद्धालुओं ने इस पल को अपने जीवन का सौभाग्य बताते हुए भावुक होकर पूजा-अर्चना की।
कपाट बंद होने के साथ ही बदरीनाथ मंदिर की शीतकालीन विरासत पांडुकेश्वर स्थित योगध्यान बदरी मंदिर में स्थापित की जाएगी, जहां अगले छह महीनों तक पूजा-अर्चना जारी रहेगी। तीर्थयात्रा के अंतिम दिन तक भक्तों की भारी भीड़ ने धाम की पवित्रता और आस्था के वातावरण को उत्साह से भर दिया।





