इंडिगो की लगातार रद्द हो रही उड़ानों का मामला अब संसद तक पहुंच गया है। देशभर में बड़ी संख्या में यात्रियों को हो रही असुविधा के चलते विपक्ष ने एयरलाइन के संचालन पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया। विपक्षी दलों ने जोर देकर कहा कि यह केवल परिचालन खामी का मामला नहीं है, बल्कि यह उदाहरण है कि कैसे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है।
संसद में विपक्ष ने आरोप लगाया कि इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से हजारों यात्रियों को फंसे रहना पड़ा, कई को गैर-जरूरी खर्चों का सामना करना पड़ा और कई यात्रियों के महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रभावित हुए। विपक्ष के नेताओं ने कहा कि जब एयरलाइन देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, तो समय पर सेवाएं सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है। उन्होंने पूछा कि एयरलाइन पर इतनी गंभीर स्थिति आने का कारण क्या है और सरकार ने पहले से इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए।
बहस के दौरान विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि क्या डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने समय रहते एयरलाइन की संचालन क्षमता, पायलटों की उपलब्धता और तकनीकी बैकअप की समीक्षा की थी या नहीं। उन्होंने कहा कि यदि इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइन परिचालन संकट में आ जाती है, तो इसका सीधा असर देश की पूरी विमानन व्यवस्था पर पड़ता है।
सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि सभी तथ्यों की जांच की जा रही है और यात्रियों के हितों की रक्षा प्राथमिकता रहेगी। मंत्री ने बताया कि एयरलाइन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है और आवश्यक होने पर कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।
फ्लाइट रद्द होने का मामला एक बार फिर विमानन क्षेत्र की कार्यप्रणाली और नियामक व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा कर रहा है। यात्रियों की बढ़ती शिकायतों और विपक्ष की तीखी आलोचनाओं के साथ अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार और इंडिगो इस संकट से निपटने के लिए आगे क्या कदम उठाते हैं।





