फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के मामले में मिली पांच साल की सजा सोमवार से शुरू हो गई है। अदालत के आदेश के अनुसार, सारकोजी को पेरिस के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित एक विशेष सुरक्षा वाले कारागार में रखा जाएगा। यह पहली बार है जब फ्रांस के किसी पूर्व राष्ट्रपति को वास्तविक कारावास की सजा भुगतनी पड़ रही है।
यह मामला वर्ष 2014 का है, जब सारकोजी पर आरोप लगे थे कि उन्होंने एक वरिष्ठ न्यायाधीश को रिश्वत देने की कोशिश की थी। आरोपों के अनुसार, सारकोजी ने उस समय चल रही जांच में गोपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए न्यायाधीश को उच्च पद का लालच दिया था। अदालत ने इस मामले में उन्हें दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसमें दो साल निलंबित (suspended) और एक साल सख्त कारावास था। बाद में अन्य वित्तीय मामलों में दोष सिद्ध होने पर सजा अवधि पांच वर्ष कर दी गई।
सारकोजी ने पहले अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें उम्र और स्वास्थ्य कारणों से घर पर निगरानी में सजा काटने की अनुमति दी जाए। लेकिन अदालत ने उनकी अपील खारिज करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता और उच्च पद का दुरुपयोग इस तरह की छूट के योग्य नहीं है।
पेरिस की जेल प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष व्यवस्था की है। सारकोजी को अन्य कैदियों से अलग सेल में रखा गया है, जहां 24 घंटे निगरानी की जा रही है। जेल के भीतर किसी भी राजनीतिक संपर्क या मीडिया बातचीत की उन्हें अनुमति नहीं दी गई है। उनके लिए सीमित मुलाकात और स्वास्थ्य जांच की सुविधा रखी गई है।
68 वर्षीय निकोलस सारकोजी 2007 से 2012 तक फ्रांस के राष्ट्रपति रहे। अपने कार्यकाल में वह यूरोप के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। लेकिन सत्ता छोड़ने के बाद उन पर चुनावी चंदा घोटाला, लिबिया फंडिंग केस और न्यायिक भ्रष्टाचार जैसे कई गंभीर आरोप लगे। इन मामलों ने उनके राजनीतिक करियर को गहरी चोट पहुंचाई।
सारकोजी की कानूनी टीम ने कहा है कि वे जल्द ही फ्रांस की सर्वोच्च अपील अदालत में इस फैसले को चुनौती देंगे। उनके वकील थियरी हर्ज़ोग, जो इस मामले में सह-आरोपी हैं, ने कहा कि “यह फैसला अनुचित और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।”
फ्रांस में इस सजा को लेकर जनता और राजनीतिक वर्ग में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जीत बताया, जबकि उनके समर्थकों ने कहा कि सारकोजी के साथ राजनीतिक प्रतिशोध किया जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला फ्रांस की राजनीति में ऐतिहासिक मिसाल बनेगा। यह न केवल सत्ता में जवाबदेही का प्रतीक है, बल्कि इस बात का संकेत भी कि कानून से ऊपर कोई नहीं — चाहे वह देश का राष्ट्रपति ही क्यों न हो।