Wednesday, July 16, 2025

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फाइलों में ही अटके रहे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रोजेक्ट, योजना बंद कर निकायों को दो दिन में पैसा लौटाने के आदेश

उत्तराखंड में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) के लिए बनाई गई परियोजनाएं एक दशक बाद भी धरातल पर नहीं उतर सकीं। अब सरकार ने यह योजना बंद करने का निर्णय लिया है और सभी नगरीय निकायों को दो दिन के भीतर केंद्रीय और राज्यांश की वापसी के निर्देश दिए हैं।
स्वच्छ भारत मिशन 1.0 के तहत वर्ष 2014 में शुरू हुई इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 71.58 करोड़ रुपये (केंद्रांश) की स्वीकृति दी थी, जिसमें से 48.42 करोड़ रुपये राज्य के 89 निकायों को जारी भी कर दिए गए थे। राज्य सरकार ने इसके अनुपात में अपना अंश भी प्रदान किया था। इस राशि का उपयोग ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की परियोजनाओं को लागू करने के लिए किया जाना था।
देहरादून का शीशमबाड़ा संयंत्र इस योजना के तहत बना भी, लेकिन गंगोलीहाट, ऋषिकेश समेत कई नगर निकायों में ये प्रोजेक्ट या तो शुरू ही नहीं हो पाए या जमीन, वन भूमि हस्तांतरण और कानूनी अड़चनों के चलते अटक गए।
निधि वापसी के निर्देश, नई योजना पर काम होगा शुरू
हाल ही में शहरी विकास सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि अभी तक 20.62 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र केंद्र को भेजे जा चुके हैं, जबकि 15.17 करोड़ रुपये के प्रमाणपत्र निदेशालय को मिले हैं, जिन्हें जल्द ही केंद्र को भेजा जाएगा। बाकी बची राशि के लिए प्रोजेक्ट क्लोजर रिपोर्ट के साथ केंद्रीय और राज्यांश लौटाने के निर्देश दिए गए हैं।
शासन स्तर पर निर्णय लिया गया है कि भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक आधारित नई परियोजनाएं तैयार की जाएंगी, जो आगामी 15 से 20 वर्षों की जरूरतों को पूरा कर सकें।
ऋषिकेश का टेंडर भी अटक गया
ऋषिकेश नगर निगम ने वर्षों की मेहनत के बाद अपने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को टेंडर तक तो पहुंचा दिया था, लेकिन अब उसे भी यह राशि लौटानी होगी। केंद्र ने इस योजना को 2023 में ही बंद कर दिया था, और अब इस पर किसी प्रकार की डीपीआर या बजट की स्वीकृति संभव नहीं है।
डॉ. ललित नारायण मिश्र, अपर निदेशक, शहरी विकास ने स्पष्ट किया है कि सभी निकायों को उपयोगिता प्रमाणपत्र सौंपने के साथ ही अवशेष धनराशि लौटानी होगी, ताकि नई योजनाओं की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।
निष्कर्ष: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की पिछली योजना अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकी, लेकिन अब सरकार की योजना है कि भविष्य के लिए व्यावहारिक, टिकाऊ और तकनीक आधारित मॉडल पर काम शुरू किया जाए।

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